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नवजातों पर कहर कब तक : बाड़मेर में बच्चों की मौत का आंकड़ा 6.81%...जिला अस्पताल में अव्यवस्थाओं का आलाम

राजस्थान ही नहीं देशभर में कोटा के जेके लोन अस्पताल में हुई बच्चों की मौत सुर्खियों में है. जहां एक तरफ कोटा में बच्चों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. ये आंकड़ा 35 दिनों में बढ़कर 110 तक जा पहुंचा है. वहीं दूसरी तरफ बाड़मेर राजकीय अस्पताल में सिर्फ दिसंबर महीने में 383 बच्चें एडमिट हुए. जिनमें से 7 बच्चों की मौत हो गई.

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बाड़मेर में 7 बच्चों की मौत

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Published : Jan 5, 2020, 10:12 PM IST

बाड़मेर.एक तरफ कोटा के जेके लोन अस्पताल में बच्चों की मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है. वहीं बाड़मेर जिला अस्पताल में भी हालात कुछ ऐसे ही है. बाड़मेर जिला राजकीय अस्पताल में सिर्फ दिसंबर महीने में 383 बच्चे एडमिट हुए थे. जिनमें से 7 बच्चों की मौत हो चुकी है. वहीं अगर अस्पताल में सुविधाओं की बात करें तो यहां परिजन और भर्ती शिशु सर्दी में और बीमार हो रहे है.

बाड़मेर में 7 बच्चों की मौत

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जहां सर्दी ने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए और इस कड़ाके की ठंड में शिशु वार्ड में अव्यवस्थाएं देखने को मिली है, अस्पताल के वार्ड में बनी खिड़कियों में लगे करीब-करीब सारे कांच टूटे हुए थे और शिशु के परिजन अपने बच्चों को सर्दी से बचाने के लिए चद्दर और कागज के गत्ते लगाकर सर्दी से जतन करते दिखें. यही नहीं बाड़मेर जिला मुख्यालय स्थित राजकीय अस्पताल में वर्ष 2019 में बच्चों की मौत का आंकड़ा 6% से भी ज्यादा है. वर्ष 2019 के दिसंबर माह में 383 बच्चें भर्ती हुए. जिनमें से 7 बच्चों की मौत हो गई.

बाड़मेर राजकीय अस्पताल में टूटी खिड़कियां

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बाड़मेर में इस वक्त सर्दी अपने चरम पर है और हर कोई अपने अपने ढंग से जतन कर रहा है और पारा अभी 5 से 6 डिग्री पर है, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने हॉस्पिटल में पुख्ता बंदोबस्त नहीं होने की वजह से बच्चे सर्दी से हालत खराब हो रही है. जब हमारी टीम हॉस्पिटल के शिशु वार्ड पहुंची तो टीम ने देखा कि वार्ड में लगी खिड़कियों के सारे कांच टूटे हुए थे. अस्पताल में भर्ती शिशु के परिजनों ने बताया कि इस सर्दी में इन खिड़कियों की वजह से रात में बेहद ठंड लगती है जिसकी वजह से बच्चे और बीमार हो जाते हैं. जिसकी वजह से उन्होंने खुद ही शिशु वार्ड में खिड़कियों में टूटे शीशों की जगह चद्दर कागज के गत्ते लगाकर सर्दी को रोकने का जतन किया है, ताकि उनके बच्चे और बीमार ना पड़े.

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