बाड़मेर. प्रदेश में महामारी को देखते हुए गहलोत सरकार ने आदेश निकाला था कि कोरोना से मरने वालों के दाह संस्कार की जिम्मेदारी नगर निकायों पर होगी. वे निशुल्क इसकी व्यवस्था करेंगे. लेकिन बाड़मेर जिले में कोरोना से एक व्यक्ति की मौत के बाद पैसों का ऐसा खेल चला कि मरने वाले का अंतिम संस्कार दूसरे दिन ही हो सका.
मृतक के परिजनों को कहा गया कि अगर रात के समय में दाह संस्कार करवाना है तो 25 हजार देने पड़ेंगे. सुबह करोगे तो 15 हजार देने पड़ेंगे. पैसे नही होने की वजह से मजबूरन परिजनों ने 12 घंटे इंतजार कर रविवार सुबह संस्कार करवाने की प्रक्रिया को शुरू करवाया. इसी दौरान इस घटना के बारे में शमशान विकास समिति को जब पीड़ित परिवार ने बताया तो इसकी शिकायत श्मशान समिति की ओर से नगर परिषद के आयुक्त से की गई.
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जिला अस्पताल में भर्ती कोरोना संक्रमित की शनिवार को मौत के बाद अस्पताल के सफाईकर्मियों और निजी ठेके पर कार्यरत कार्मिको ने शव के अंतिम संस्कार के लिए मृतक के परिजनों से 25 हज़ार रुपये की मांग कर डाली. शव को सुरक्षित रखने के लिए उनसे 2 हज़ार रूपये वसूले गए. रविवार को सार्वजनिक श्मशान घाट में शव का अंतिम संस्कार करवाया. मृतक के परिजनों की ओर से श्मशान विकास समिति को दाह संस्कार के लिए पैसे की मांग की बात बताई गई.
मृतक के रिश्तेदार राजवीर ने बताया कि मुकेश कुमार पुत्र ताराचंद ब्राह्मण उम्र 45 वर्ष हरियाणा के गांगुली का निवासी था. उनकी पत्नी बाड़मेर में सरकारी अध्यापिका है. ऐसे में वह बाड़मेर शहर में निवासरत था. कुछ दिन पूर्ण वह संक्रमण की चपेट में आ गया था. जिसका इलाज राजकीय अस्पताल में चल रहा था और शनिवार को 45 वर्षीय मुकेश ने जिला अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया.
मृतक के रिश्तेदार के अनुसार अस्पताल पहुंचने पर शव के अंतिम संस्कार के लिए 4 कार्मिकों ने 25 हज़ार की मांग की. साथ ही रात भर शव डीप फ्रीजर में रखने की एवज में उनसे 2 हज़ार रुपये तक वसूले.