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लाखों हेक्टेयर खरीफ फसलों की बर्बादी के बाद बेबस 'धरती पुत्र' कर रहे मुआवजे की मांग - farmers kept seeking administration

मंदी की मार झेल रहे बारां के किसानों को अतिवृष्टि ने दोहरी मार पर खड़ा कर दिया है. लगातार हो रही बरसात के कारण जिले में 3 लाख 22 हजार हेक्टेयर जमीन पर खड़ी खरीफ की फसल बर्बादी के कगार पर है.

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Published : Sep 18, 2019, 1:46 PM IST

अंता (बारां).किसानों को दिए जाने वाली सुविधाओं को लेकर सरकार हर साल तमाम वायदे करती है. लेकिन जब समय आता है इन वायदों को पूरा करने का तो सबके मुंह पर दही जम जाता है. ऐसे हजार बहाने होते हैं, जिससे सवाल पूछे जाने पर वो जवाब देह हो.

बर्बादी के कगार पर है 3 लाख 22 हजार हेक्टर जमीन पर खड़ी खरीफ की फसल

जिले के खेतों में तबाही और बर्बादी का मंजर साफ नजर आ रहा है. लेकिन, सरकर के लिए ये आम बात है. जिन खेतों में इस समय फसले लहलहाती थी. वहीं खेत पानी से लबालब है.
सितंबर माह में हो रही लगातार बारिश के कारण मूंग, उड़द और सोयाबीन की फसलें पूरी तरह से बर्बाद हो गई हैं. मंदी के इस दौर में किसानों को इस फसल से काफी उम्मीद थी. लेकिन लगातार हो रही बारिश किसानों की उम्मीदों पर पानी फेरती नजर आ रही है.

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बता दें कि जिले में 60 से लेकर 100 फीसदी तक किसानों की फसलें खराब होने का अनुमान लगाया जा रहा है. सर्वाधिक नुकसान छबड़ा छीपा बड़ौद क्षेत्र में हुआ है. जहां किसानों के खेतपूरी तरह से तबाह हो गये हैं. मंदी के साथ अतिवृष्टि की मार झेल रहे किसान अब मुआवजे के लिए सरकार का मुंह देख रहे हैं. लेकिन अफसोस की बात है कि गरीब किसानों को मुआवजे से पहले बर्बादी के आंकलन की कड़ी अग्नि परीक्षा से गुजरना होगा. इस बीच कुछ सकारात्मक हो रहा है, वो ये है कि किसानों की हालत देखते हुए अब किसान संगठन लामबंद होने लगा है. साथ ही किसाम संगठन ने भी आस लगाए अपने हक की आवाज बुलंद करते हुए जिला कलेक्टर को ज्ञापन देकर न सिर्फ मुआवजे की मांग की है. बल्कि जिले को अभावग्रस्त घोषित करने की भी मांग की है.

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