अंता (बारां). जिले के सीसवाली मार्ग पर स्थित खेम जी बाबा महाराज का तालाब भी इन दिनों ऐसी ही परिस्थिति का सामना कर रहा है. इस तालाब के पानी में अधिकांश हिस्से पर कमल गठ्ठे की पौध ने कब्जा जमा लिया है. यह पौधा दिनों-दिन बढ़ रहा है. जिससे प्राचीन और धार्मिक स्थल पर बने इस तालाब के अस्तित्व पर ही संकट खड़ा होने लगा है.
हमारे पुरखों ने मीठे जल स्त्रोतों के रूप में जो विरासत छोड़ी थी. वह हमसे धीरे-धीरे छिनती जा रही है. ऐसे में आने वाली पीढ़ी तो नदी, बावड़ी और तालाब को देखने के लिए ही तरस जाएगी. यह जल स्त्रोत पेयजल उपलब्ध कराने के अतिरिक्त कपड़े धोने, पशु पक्षियों की प्यास बुझाने सहित गांव कस्बे का सौंदर्यीकरण भी बढ़ाते थे. लेकिन सार संभाल का अभाव, अतिक्रमण के भार और वक्त की मार ने इन्हें बेकार कर दिया है.
4.50 करोड़ की लागत से बने उद्यान पर भी संकट
उल्लेखनीय है कि बाबा खेम जी महाराज तालाब पर लगभग 4.50 करोड़ रूपयों की लागत से नागरिकों के लिए सुंदर उद्यान विकसित किया है. जहां सुबह शाम कई महिला-पुरूष घूमने जाते हैं. वहीं यहां बने ट्रेक पर दौड़ लगाने और योगा करने का लाभ भी लोगों को मिलने लगा है. इस आकर्षक उद्यान में सैंकड़ों किस्म के आकर्षक पौधे, लाल पत्थर से निर्मित मंदिर के चबूतरे, तालाब पर नहाने के लिए घाट, पाल के चारों और लाल पत्थर की आकर्षक चारदीवारी आदि का निर्माण दो साल पूर्व ही हुआ है.
ऐसे में यहां सैर को आने वाले नागरिकों की संख्या दिनों-दिन बढ़ रही है लेकिन अब तालाब के पानी पर कब्जा करती कमल गट्टे की पौधे चिंता का विषय है. जिसे पूरी तरह फैलने से पूर्व ही आधुनिक मशीनों से साफ किए जाने की मांग प्रबुद्ध नागरिकों ने की है.