शाहबाद (बारां).राजस्थान में कोरोना जैसी महामारी ने कहर बरपा रखा है, इसको लेकर राजस्थान की सरकार भी काफी गंभीर बनी हुई है. प्रवासी मजदूरों को उनके घरों तक छोड़ने के लिए और ग्रीन जोन जिलों में बसे चालू कर सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करते हुए यात्रियों को बैठाने में सरकारी छूट दी गई है, लेकिन इन बसों में सोशल डिस्टेंसिंग की पालना नहीं हो रही है. बसों में आम दिनों की तरह ही सवारियां बैठकर सफर कर रहे हैं, इससे लोगों में संक्रमण होने का खतरा बनी हुआ है.
बारां में बढ़ रहा कोरोना का खतरा उल्लेखनीय बात तो यह है कि राजस्थान बॉर्डर सीमाओं पर पुलिस प्रशासन मुस्तैदी के साथ लगा हुआ है, उसके बाद भी इन बसों की कोई जांच पड़ताल नहीं की जाती है, ना ही ऐसे बस चालकों के खिलाफ कोई कार्रवाई की जाती है. प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं और ऐसी बसों, ट्रकों में इस तरीके से सवारियां बैठाकर लाने ले जाने का सिलसिला बदस्तूर जारी है.
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सोशल डिस्टेंसिंग की उड़ रही धज्जियां
एक और तो समाजसेवी संस्थाओं और सरकार के नुमाइंदों द्वारा लोगों को कोरोना बीमारी से बचाव को लेकर सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क लगाने और घरों में रहने की अपील कर लोगों को जागरूक करने में लगे हुए हैं. लेकिन इन बसों और ट्रकों में सवार होकर जा रहे प्रवासी मजदूरों को कोई सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क लगाने की सलाह नहीं दे रहा है.
सरकार द्वारा जारी की गई गाइडलाइन का बड़े पैमाने पर उल्लंघन होता नजर आ रहा है साथ ही राजस्थान प्रदेश में दिनों दिन कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है और कई लोग कोरोना की चपेट में आकर मौत के शिकार भी हो रहे हैं.
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उसके बावजूद भी लोग इनसे सबक लेते दिखाई नहीं दे रहे हैं और ना ही प्रशासनिक आमला ऐसे लोगों के खिलाफ कोई एक्शन लेता दिख रहा है. अगर ऐसे ही तरीके से यह सारा खेल चलता रहा तो राजस्थान से कोरोना मिटाना मुश्किल हो जाएगा और बड़े पैमाने पर कोरोना महामारी की जड़े मजबूत हो जाएंगे और लोग कोरोना के संक्रमण के शिकार होने लगेंगे.