बांसवाड़ा. वेद एवं सम्पूर्ण वैदिक साहित्य और संस्कृत वांग्मय अपने आप में अनूठा और अपूर्व है. आज हम जिस विज्ञान और प्रौद्योगिकी और विज्ञानमय-तकनीकमय विश्व एवं विकास की बात करते हैं, उन सबके प्राचीनतम सूत्र एवं विज्ञान हमारे वेदों और वांग्मय में सदियों पूर्व से ही विद्यमान (Governor Mishra on Vedas and science) है. ये विचार प्रदेश के राज्यपाल कलराज मिश्र ने गोविन्द गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय के वेद विद्यापीठ विस्तारीकरण और वैदिक गुरुकुल परिसर के शिलान्यास के अवसर पर व्यक्त किए.
उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष विज्ञान, खगोल विज्ञान, भौतिक विज्ञान और विज्ञान की जिनती भी शाखाएं हैं, उनका पूर्ण विकास और मूल हमारे वेदों में मिलता है. वेद में दर्शित ज्ञान स्वयंसिद्ध हैं. वेद ज्ञान-विज्ञान के सबसे बड़े खजाने हैं. आज इन खजानों का भलीभांति से अधिकाधिक उपयोग, आविष्कार और अनुसन्धान करने की महती आवश्यकता है. इस यात्रा में संस्कृत भाषा का समुचित अध्ययन सबसे अधिक सहायक सिद्ध हो सकता है. संस्कृत से न केवल हमारी संस्कृति और सनातन जीवन पद्धति को जी सकेंगे, बल्कि इससे ज्ञान और विज्ञान के सबसे बड़े खजाने से पूरा विश्व लाभान्वित हो सकता है.