बांसवाड़ा. राज्य स्तरीय जनजाति खेलकूद प्रतियोगिता के लिए प्रदेश के 6 जिलों के खिलाड़ियों द्वारा पसीना बहाया गया. लेकिन हम आपको बता दें कि यहां अपने बेहतर प्रदर्शन के दम पर जिन जिन खिलाड़ियों ने मैडल जीते हैं, उस मैडल की सरकारी लिहाज से कोई खास अहमियत नहीं है. मैडल का दर्जा यादों तक ही सीमित है. क्योंकि, अब तक सरकार द्वारा इस प्रतियोगिता को किसी भी प्रकार की मान्यता नहीं दी गई है.
हम बात कर रहे हैं 30 नवंबर से 2 दिसंबर तक बांसवाड़ा में आयोजित हुई राज्य स्तरीय जनजातीय खेल प्रतियोगिता की. इस प्रतियोगिता में बेहतर प्रदर्शन के लिए भले ही जनजाति वर्ग के छात्र-छात्राओं ने अच्छा प्रदर्शन किया हो और मैडल भी जीते हो. लेकिन, सरकारी नजरों में उनकी वैल्यूएशन जीरो ही मानी जा रही है. पता चला है कि यह प्रतियोगिता सरकारी स्तर पर राज्य स्तर के रूप में मान्य नहीं है. अर्थात यहां अपने प्रदर्शन के बूते जिन जिन खिलाड़ियों ने मैडल हासिल किए हैं और बेहतर प्रदर्शन किया है, सरकारी स्तर पर उन्हें किसी भी प्रकार का लाभ नहीं मिलने वाला है.
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दबी जुबान में आयोजन से जुड़े कई लोग अपनी इस व्यथा को बताते नजर आए. सूत्रों का कहना है कि क्योंकि यह 6 जिलों की प्रतियोगिता है. इस कारण इसे राज्य स्तर की मान्यता नहीं है. जब तक प्रदेश के सभी जिलों के लिए इसका आयोजन नहीं होता, तब तक इसे राज्य स्तर की मान्यता नहीं दी जा सकती.