बांसवाड़ा.छात्र संघ के साथ होने वाले कक्षा प्रतिनिधि के चुनाव में छात्रों की रुचि खत्म होती जा रही है. हाल के चुनावों में यह साफ नजर आया. स्थिति यह है कि शहर के दोनों ही प्रमुख कॉलेजों में 95 प्रतिशत पद रिक्त रह गए. जबकि छात्रसंघ कार्यकारिणी में दो महत्वपूर्ण पदों का मनोनयन कक्षा प्रतिनिधियों से ही किए जाने का प्रावधान है.
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बता दें कि गत सप्ताह प्रदेश में छात्र संघ चुनाव कराए गए थे. अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव और संयुक्त सचिव के साथ कक्षा प्रतिनिधियों के चुनाव भी करवाए जाने थे. प्रत्येक 40 छात्र छात्राओं पर एक कक्षा प्रतिनिधि चुने जाने का प्रावधान है.
अमूमन एक सौ विद्यार्थियों पर सेक्शन वाइज दो कक्षा प्रतिनिधि चुने जाते हैं. बच्चों की संख्या के लिहाज से शबर के सबसे बड़े गोविंद गुरु राजकीय महाविद्यालय में 70 से 80 सीआर चुने जाने थे लेकिन यहां महज 4 छात्र-छात्राएं इसके लिए आगे आए.
कक्षा प्रतिनिधि चुनावों की घट रही अहमियत वहीं इसी प्रकार कन्या महाविद्यालय में भी चार प्रत्याशी ही मैदान में उतरे. रोचक बात यह है कि इनके कोई चुनाव नहीं हुए. सामने कोई प्रत्याशी नहीं होने से दोनों ही कॉलेजों में कक्षा प्रतिनिधि पद पर इनका निर्विरोध निर्वाचन हो गया. इसका मूल कारण यह है कि कक्षा प्रतिनिधि का कोई ज्यादा अहम रोल नहीं रहता और अधिकतर छात्र छात्राओं का रुझान मुख्य पदों के लिए रहता है. प्रत्यक्ष चुनाव सिस्टम होने के बाद से इन पदों के लिए कोई भी छात्र छात्रा मैदान में नहीं आ रहे हैं.
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छात्र संघ की दृष्टि से भी यह चुनाव महत्वपूर्ण माने जाते हैं. सांस्कृतिक सचिव और क्रीड़ा सचिव पदों के लिए कक्षा प्रतिनिधि में से ही मनोनयन किया जाता है. कई बार कक्षा प्रतिनिधि नहीं होने के कारण यह दोनों ही पद खाली रह जाते हैं. गोविंद गुरु राजकीय महाविद्यालय के प्रोफेसर भूपेंद्र शर्मा के अनुसार जब से प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली लागू हुई है तब से कक्षा प्रतिनिधि पद के लिए छात्र- छात्रों की रुचि कम हो गई है. जबकि छात्र संघ कार्यकारिणी में सांस्कृतिक और क्रीड़ा सचिव पदों पर इन्हीं पदों से चुनाव किया जाता है. कई बार कक्षा प्रतिनिधि नहीं होने के कारण यह दोनों ही पद खाली रह जाते हैं.