बांसवाड़ा. राजस्थान के जनजाति बहुल बांसवाड़ा में साल 2016 में गोविंद गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय प्रदेश के राष्ट्रीय क्षितिज पर अपना नाम दर्ज करा चुका है. अपने नए-नए पाठ्यक्रम और तकनीक के इस्तेमाल के जरिए ये विश्वविद्यालय किसी परिचय का मोहताज नहीं रहा. लगातार 3 साल तक कुलपति रहने के बाद प्रोफेसर कैलाश सोडानी शनिवार को महज कुछ घंटों बाद सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं. ईटीवी भारत ने अपने कार्यकाल के दौरान उनके सपनों और उपलब्धियों को लेकर प्रो. सोडानी से विशेष बातचीत की.
एक सवाल पर प्रो. सोडानी ने कहा कि साल 2017 में प्रभार संभालने के बाद सबसे पहले शोध पर फोकस रखा और पीएचडी शुरू करवाई. आज हमारे यहां 250 विद्यार्थी पीएचडी कर रहे हैं. यूनिवर्सिटी के अधीन आने वाले जनजाति बहुल प्रतापगढ़, डूंगरपुर और बांसवाड़ा के महाविद्यालयों में नए मापदंड और आईटी का उपयोग करते हुए प्रदेश में सबसे पहले ऑनलाइन एग्जाम सिस्टम अपनाया गया. उसी का नतीजा है कि आज हम सबसे पहले रिजल्ट जारी कर पाते हैं.
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इस दौरान उन्होंने कहा कि पेपर ऑनलाइन जारी करने के साथ मार्क रिसीविंग में भी यही प्रोसेस अपनाया जाता है. सबसे अहम बात ये है कि हमने सबसे लेटेस्ट कोर्स तैयार किए. पिछड़ा इलाका होने के कारण शैक्षणिक वातावरण बनाना हमारी सबसे पहली प्राथमिकता थी. हमने इन तीनों ही दिनों में समसामयिक विषयों पर कई राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया. देश ही नहीं विदेशों से भी कई विद्वान लोगों का यहां आना जाना शुरू हुआ. यहां आने के बाद ही उनके मन में बांसवाड़ा की जो छवि थी, हम दूर करने में कामयाब हो पाए.
शैक्षणिक कार्यों के साथ हमने खेलकूद को जरिया बनाया और इन तीनों जिलों के 143 कॉलेज के बीच इंटर कॉलेज खेलकूद शुरू करवाएं, यहां तक की इंटर यूनिवर्सिटी तक हमारे खिलाड़ी पहुंच गए. यूनिवर्सिटी के बांसवाड़ा ट्रांसफर होने के महज 3 साल में हम दीक्षांत समारोह का आयोजन कर पाए, जोकि किसी भी विश्वविद्यालय के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि मानी जाती है.