बांसवाड़ा. ईटीवी भारत की पड़ताल में सामने आया कि इस मामले में शिक्षा विभाग और पाठ्य पुस्तक मंडल पूरी तरह से गैर जिम्मेदाराना रवैया अपना रहे हैं. पहली बार निजी स्कूलों में नेशनल काउंसिल ऑफ रिसर्च एंड ट्रेनिंग का पाठ्यक्रम लागू करने से अभिभावकों की जेब कटने से बचने की उम्मीद थी लेकिन पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध कराने का जिम्मा संभाल रहे राजस्थान राज्य पाठ्यपुस्तक मंडल स्थानीय प्रबंधन की नाकामी माने या फिर मिलीभगत की जिले के सरकारी स्कूलों के बच्चों को कई प्रकार की पुस्तकें अब तक उपलब्ध नहीं हो पाई हैं.
एडवांस में करवाया था पाठ्यक्रम बुक
विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिले भर में करीब 300 निजी स्कूल संचालित है. इनमें हजारों बच्चे अध्ययनरत है. गैर सरकारी स्कूलों के बच्चों को भी एनसीईआरटी की पुस्तकें उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी पाठ्य पुस्तक मंडल को दी गई है. यह पुस्तकें मंडल को पंजीकृत स्टेशनरी विक्रेताओं को दी जानी थी.
मजेदार बात यह है कि शहर के पंजीकृत 16 पुस्तक विक्रेताओं द्वारा फरवरी 2019 में ही पाठ्यक्रमों के सेट बुक करवाते हुए दस परसेंट राशि एडवांस में जमा भी करा दी. लेकिन सत्र शुरू होने से पहले तो दूर की बात सत्र शुरू होने के 22 दिन बाद भी पाठ्य पुस्तक मंडल का स्थानीय डिपो कई प्रकार की पुस्तके उपलब्ध नहीं करवा पा रहा है. इनमें सातवीं क्लास की हिंदी और सामाजिक, आठवीं कक्षा की विज्ञान और सामाजिक विज्ञान तथा हिंदी, 11वीं और 12वीं कक्षा की भौतिक और रसायन तथा भूगोल के अलावा पांचवी क्लास की कई पुस्तकें भी शामिल है. इसे लेकर विद्यार्थी दिन भर पुस्तक विक्रेताओं के चक्कर काटते देखे जा सकते हैं.