बांसवाड़ा.आज के इस दूषित परिवेश में अब अस्पतालों के अंदर भी संक्रमण का खतरा मंडराने लगा है. सरकार की लापरवाही के चलते अब मरीज अस्पतालों में भी स्वस्थ्य होने की उम्मीद नहीं रख सकते. जिसका उदाहरण हमें बांसवाड़ा के महात्मा गांधी चिकित्सालय की स्पेशल बोर्न केयर यूनिट में देखने को मिला. जहां एक पलंग पर दो से तीन बच्चों का उपचार किया जा रहा है. जबकि यहां भर्ती होने वाले शिशु पहले से ही बहुत ही कमजोर होते हैं. साथ ही उन पर संक्रमण होने की आशंका सबसे ज्यादा होती है.
बता दें कि यह स्पेशल बोर्न केयर यूनिट जिले का एकमात्र एसएनसीयू है और रिकॉर्ड के अनुसार महज 12 बच्चों को यहां भर्ती किया जा सकता है. उसी के अनुरूप यहां पर मानव संसाधन की नियुक्ति की गई है. वहीं सरकार की ओर से बाद में 6 पलंग (वार्मर) बढ़ाकर 18 कर दिए गए. लेकिन केवल वार्मर ही बढ़ाए गए, उसके मुकाबले न अतिरिक्त विशेषज्ञ डॉक्टर की व्यवस्था की गई और ना ही अतिरिक्त नर्सिंग स्टाफ की. जबकि नियमानुसार हर वार्मर के लिए अलग से नर्सिंग स्टाफ को लगाने का प्रावधान है.
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वहीं बात की जाए यहां भर्ती होने वाले स्टाफ की, तो यहां प्रतिदिन 30 से लेकर 35 बच्चे भर्ती कराए जाते हैं. ऐसे में हर वार्मर पर दो बच्चों का उपचार किया जा रहा है. जबकि 1 महीने से कम उम्र के नवजात संक्रमण के लिहाज से सबसे ज्यादा संवेदनशील माने जाते हैं. खासकर क्रॉस इन्फेक्शन की आशंका इनमें सबसे ज्यादा मानी जाती है. यहां भर्ती होने वालों में करीब 60 फीसदी बच्चों का वजन एक से डेढ़ किलो के बीच होता है. जबकि एक स्वस्थ बच्चे के लिए ढाई किलो तक का वजन होना आवश्यक माना गया है. इस कारण ऐसे बच्चों पर संक्रमण का खतरा और भी बढ़ जाता है.