बांसवाड़ा.घटिया निर्माण और भ्रष्टाचार की खबरें आए दिन सामने आती रहती हैं. जिस कारण कई बार बड़े हादसे भी हो जाते हैं. कितने ही लोग ऐसे हादसों में अपनी जा गंवा देते हैं. लेकिन इसके बाद भी सरकार और प्रशासन इनसे कोई सबक नहीं लेता. आए दिन सरकारी निर्माणों में गड़बड़ी सामने आती है. ऐसा ही एक मामला बांसवाड़ा से भी सामने आया है जहां बच्चों की जान की चिंता किए बिना गुणवत्ता के मापदंडों को ताख पर रखकर मां बाड़ी केंद्रों के लिए भवनों का निर्माण करवाया जा रहा है.
आंगनबाड़ी केंद्रों की तर्ज पर जनजातीय इलाके में जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग की ओर से मां बाड़ी केंद्रों का संचालन किया जाता है. इसका पूरा कामकाज स्वच्छ परियोजना परियोजना संभालती है. परियोजना के अंतर्गत ग्रामीणों की कमेटी की ओर से भवन निर्माण से लेकर अध्यापक की व्यवस्था की जाती है. इन भवनों का निर्माण किस प्रकार गुणवत्ता के मापदंडों को दरकिनार कर अंजाम दिया जा रहा है, इसकी बानगी तीन स्थानों पर भवन निर्माण के कार्यों से बखूबी नजर आई.
कई गडबड़ियां आई सामने
बिना टेंडर निकाले इन भवनों का निर्माण किया जा रहा है. ग्रामीण कमेटी के सदस्य अपने ही आदमी को ठेका देकर काम करवाते हैं. इन भवनों के निर्माण में कम मोटी सरिया का उपयोग किया जा रहा है.वहीं भवन के खंभों तक में सरिया के टुकड़ों से काम चलाया जा रहा है. जबकि पूरे भवन का दारोमदार इन पायों पर ही टिका होता है.
पिलर में पतले सरिए का उपयोग
जिले के चाचा कोटा ग्राम पंचायत में आने वाले भक्तों का फला बस्ती क्षेत्र में निर्माणाधीन भवन के पिलर में 10 एमएम के सरियों का इस्तेमाल किया जा रहा था. वहीं टुकड़े की ओवरलैपिंग तक सामने आई जबकि किसी भी नए भवन के निर्माण में 12 से 16 एमएम साइज के सरियों का इस्तेमाल आवश्यक है. सबसे बड़ी बात यह है कि पूरे भवन का दारोमदार पिलर पर निर्भर होता है, ऐसे में टुकड़ों का इस्तेमाल भी नहीं किया जा सकता. टुकड़ों के इस्तेमाल से पिलर कभी भी जवाब दे सकता है. लेकिन यहां पर धड़ल्ले से कम साइज के साथ-साथ सरियों के टुकड़े तक उपयोग में लिए जा रहे थे.
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