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बांसवाड़ाः पुलिस सिखा रही है बालिकाओं और महिलाओं को आत्मरक्षा के गुर, अब तक 500 का रजिस्ट्रेशन

बांसवाड़ा में पुलिस की ओर से जिला मुख्यालयों पर बालिकाओं और महिलाओं को आत्मरक्षा के गुर सिखाए जा रहे हैं, ताकि वह खुद अपराधियों से मुकाबला कर सके. वहीं अब तक 500 से अधिक बच्चियों और महिलाओं का रजिस्ट्रेशन हो चुका है.

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आत्मरक्षा के गुर

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Published : Jan 5, 2020, 8:20 PM IST

बांसवाड़ा. समाज में बढ़ते महिला अपराध से निपटने के लिए पुलिस विभाग ने नया प्रयोग किया जा रहा है. इसके तहत प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर बालिकाओं और महिलाओं को आत्मरक्षा के गुर सिखाए जा रहे हैं ताकि वह खुद अपराधियों से मुकाबला कर सके. शिविर को लेकर महिला वर्ग में खासा उत्साह देखा जा रहा है. जहां अब तक 500 से अधिक बच्चियों और महिलाओं का रजिस्ट्रेशन हो चुका है और यह संख्या अगले कुछ दिनों में और भी बढ़ने की संभावना है.

पुलिस सिखा रही है बालिकाओं और महिलाओं को आत्मरक्षा के गुर

बता दें कि पुलिस लाइन के ग्राउंड सुबह से ही कराटे सिखाती महिला ट्रेनर की विशेष आवाज से गूंज उठता है. करीब 2 घंटे तक चलने वाले इस सेल्फ डिफेंस ट्रेनिंग में दो बैच चलाए जा रहे हैं. एक किशोर बच्चों के लिए तो दूसरा इससे अधिक उम्र की युवतियों और महिलाओं के लिए. साथ ही पुलिस विभाग द्वारा कराटे सहित अलग अलग तरीके से किस प्रकार आत्मरक्षा की जा सकती है. इसके लिए शहर में संचालित सेल्फ डिफेंस संस्थाओं की ट्रेनर्स की मदद ली जा रही है.

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इस दौरान पहले दिन पंजीयन के अनुसार 70 बच्चियां पुलिस ग्राउंड पर पहुंची तो दूसरे दिन यह संख्या डेढ़ सौ तक पहुंच गई और तीसरे दिन 180 हो गई. जैसे-जैसे इस बारे में महिलाओं को पता चल रहा है, न केवल अपनी बच्चियों बल्कि खुद भी सेल्फ डिफेंस के तरीके सीखने के लिए पुलिस लाइन पहुंच रही है. यहां ना केवल सेल्फ डिफेंस ट्रेनिंग दी जा रही है बल्कि आने वाली महिलाओं और बच्चों को कानूनी जानकारी भी दी जा रही है.

बता दें कि इसका मुख्य मकसद बालिकाओं में आत्म सुरक्षा को लेकर एक विश्वास पैदा किया जा सके. यहां आने वाली बच्चों में धीरे धीरे कर आत्मविश्वास की भावना डिवेलप हो रही है. कल्पना पारगी ने बताया कि वाकई इस ट्रेनिंग से उनकी सोच में बदलाव हो रहा है. साथ ही सीजल भट्ट के अनुसार हर जगह आपके साथ घर का कोई मेंबर नहीं हो सकता, कई बार अकेले में ही आना-जाना पड़ सकता है, लेकिन अपराधी घटनाओं को देखते हुए एक डर सा बना रहता है. निश्चित ही इस ट्रेनिंग से डर की भावना खत्म हो रही है.

लक्ष्मी पटेल का कहना था कि अपराधी द्वारा अकेली महिला के साथ किन परिस्थितियों में किसी वारदात को अंजाम दिया जा सकता है, उसी के आधार पर हम मोटे-मोटे तरीके बता रहे हैं. ऐसी किसी स्थिति में महिलाओं को सबसे पहले सामने वाले की नाक, कान पर आक्रमण करना होता है, क्योंकि यह दोनों ही अंग काफी संवेदनशील होते हैं. वहीं ग्रहणी रचना शर्मा के अनुसार यह ट्रेनिंग हमारे लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकती. बच्चों के साथ-साथ महिलाओं के लिए भी अभी की यह जरूरत बन चुका है.

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कैंप का संचालन कर रहे पुलिस उपाधीक्षक मनोज सांवरिया का कहना है कि विभाग का मुख्य उद्देश्य महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों को रोकना है और सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग काफी कारगर साबित हो सकती है. इस ट्रेनिंग के अलावा हम लोग कानूनी पहलुओं की भी जानकारी देते हैं. इससे निश्चित ही जागरूकता के साथ-साथ महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों में गिरावट आएगी.

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