बांसवाड़ा. जिले की कोरोना वायरस की वजह से सीमाएं सील करने के बाद बॉर्डर पर लोगों को रोका गया. जिन्हें लेबर कैंप में ठहराया गया है. वहीं इन शिविरों की व्यवस्थाओं को परखने के लिए ईटीवी भारत की टीम बांसवाड़ा प्रतापगढ़ राजमार्ग स्थित पीपलखूंट बॉर्डर पर पहुंचा. जहां कैंप में ठहरे लोगों से ही उनके खान-पान सहित अन्य व्यवस्थाओं पर बातचीत कर उनके दर्द को जानने का प्रयास किया. हालांकि, व्यवस्थाओं पर लोग संतुष्ट नजर आए लेकिन परिजनों की याद उन्हें बार-बार विचलित करती नजर आई.
कोरोना वायरस को लेकर 23 मार्च से लॉकडाउन के बाद देश के विभिन्न इलाकों से आने वाले लोगों के जरिए संक्रमण फैलने की आशंका में सरकार ने सीमाएं सील कर दी है. यहां तक कि अंतर जिला बॉर्डर पर भी लोगों की आवाजाही को रोक दिया गया. वहीं बॉर्डर पर ही रोके गए लोगों के लिए कैंप लगाए गए हैं. जिले में आने वाले पीपलखूंट उपखंड मुख्यालय पर समाज कल्याण विभाग के दो छात्रावासों में 126 लोगों को ठहराया गया है. इनमें अधिकांश लोग जिले के छोटी सरवा पाटन के अलावा उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के रहने वाले हैं.
बांसवाड़ा जिले के अधिकांश लोग चित्तौड़गढ़ और भीलवाड़ा गेहूं काटने के लिए गए थे लेकिन लॉकडाउन के बाद इन्हें वहां से रवाना कर दिया गया. जिसके बाद वे सभी 100 से लेकर 200 किलोमीटर तक पैदल चलकर घर जा रहे थे कि सरकारी आदेश के अनुसार इन लोगों को बॉर्डर पर ही रोक लिया गया. जिसके बाद इन सभी को समाज कल्याण विभाग के दो छात्रावास में क्रमश 61 और 65 लोगों को रखा गया है. जिनमें कई महिलाएं भी शामिल हैं.