बांसवाड़ा. कोरोना महामारी के कारण आबकारी विभाग का राजस्व भी पटरी से उतर गया था. इसके बाद विभाग धीरे-धीरे अपने शराब ठेकों का बंदोबस्त करने में कामयाब रहा, लेकिन वित्तीय वर्ष का राजस्व लक्ष्य हासिल करना अभी भी मुश्किल नजर आ रहा है. बांसवाड़ा जिले में एक तिहाई ठेके अब जाकर उठे हैं, जबकि वित्तीय वर्ष के 6 महीने निकल चुके हैं. ऐसे में राजस्व आय का आंकड़ा एक तिहाई लक्ष्य भी नहीं छू पाया है.
पटरी पर आ रहा आबकारी विभाग मार्च के दूसरे सप्ताह में जिले में सभी 38 शराब समूह की लॉटरी निकाली गई और सभी ठेकों के बंदोबस्ती का काम पूरा हो गया था. इनमें 10 अंग्रेजी और 28 देसी और विदेशी मदिरा के कंपोजिट ठेके शामिल थे. महज 1 सप्ताह बाद ही कोरोना के कारण लॉकडाउन लग गया और ठेकों की बंदोबस्ती का कामकाज ठप हो गया.
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इसके बाद लगातार दो महीने तक ठेकों की बंदोबस्ती का काम पटरी पर नहीं आया. अंग्रेजी के साथ 15 देसी समूह को छोड़कर अन्य ठेकेदारों ने हाथ खींच लिए. इसके बाद फिर से लॉटरी निकाली गई, लेकिन इस बार भी केवल 7 समूह के ठेके उठ पाए. विभागीय अधिकारियों के तमाम प्रयासों के बाद शेष 6 समूह का बंदोबस्त भी हो गया, परंतु आबकारी विभाग का राजस्व लक्ष्य बिगड़ गया.
बता दें, पहले के मुकाबले राजस्व लक्ष्य और भी बढ़ कर आया है. विभाग अब तक करीब 60 करोड़ रुपए का राजस्व जुटा पाया है, जबकि लक्ष्य 195 करोड़ रुपए का मिला है. लेकिन वर्तमान स्थिति को देखते हुए राजस्व लक्ष्य का पूरा होना मुश्किल माना जा रहा है.
जिला आबकारी अधिकारी धनेश कुमार ने बताया कि किसी भी तरह हमने ठेकों का बंदोबस्त कर लिया है और अब राजस्व आय बढ़ने की उम्मीद है. उन्होंने बताया कि अब तक करीब 35 फीसदी राजस्व हासिल हो गया है. कोरोना महामारी के कारण हमारी इनकम बुरी तरह से प्रभावित हुई है.