बांसवाड़ा. यह तस्वीर जो आप देख रहे हैं राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 927 ए की है. स्वरूपगंज से रतलाम को जोड़ने वाले इस राजमार्ग का टुकड़ों में निर्माण कार्य चल रहा है. निर्माण एजेंसी ने किस गुणवत्ता से काम किया, इसका अंदाजा राजमार्ग की स्थिति देखकर लगाया जा सकता है. सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि निर्माण कार्य को 8 साल भी नहीं बीता कि जगह-जगह गड्ढों ने इसकी गुणवत्ता की पोल खोल कर रख दी. करीब 24 किलोमीटर के टुकड़े को जगह-जगह गड्ढों ने घेर लिया. कहीं डामर गायब हो गया तो कहीं मिट्टी और गिट्टी निकल आई. स्थिति यह है कि बांसवाड़ा के पास ओवरब्रिज तक पर पेच निकल आए हैं. जगह-जगह डामर की ओवर लेपिंग घटिया सामग्री और निर्माण की कहानी बयां करती नजर आती है.
वजवाना से बांसवाड़ा तक राजमार्ग के निर्माण का ठेका हरियाणा की करनाल मेहता कंस्ट्रक्शन को 52 करोड़ रुपए में दिया गया था. कंपनी द्वारा निर्माण के बाद 14 नवंबर 2019 को इसे राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को स्थानांतरित कर दिया गया. इसके तीन चार महीने बाद ही निर्माण की हकीकत सामने आने लगी, जब वजवाना से लेकर बांसवाड़ा तक पूरा राजमार्ग में गड्ढा हो गया. जगह-जगह डामर सिमट गया और मिट्टी के साथ-साथ गिट्टी उभर आई. धीरे-धीरे यह गड्ढे चौड़े होते गए. कई स्थानों पर 2 से 3 मीटर तक डामर गायब हो गई.
यहां तक कि आधे आधे फीट के गड्ढे तक पड़ गए. मिट्टी और गिट्टी निकलने से धूल के गुब्बार उड़ना आम हो गया. दिनभर वाहनों की सरपट दौड़ से उड़ने वाली धूल और मिट्टी रोड पर बसे गांव के लोगों के लिए भी परेशानी का सबब बन गई. लोगों को अपने घर और प्रतिष्ठानों पर दिन भर साफ-सफाई करनी पड़ती है. वहीं वाहन चालकों के सामने भी दिक्कतें खड़ी हो गई. वजवाना से बांसवाड़ा तक पहुंचने में ही एक-एक घंटा तक लग रहा है. जबकि दोनों के बीच मात्र 24 किलोमीटर की दूरी है. गड्ढों के कारण राजमार्ग पर स्थित होटल रेस्टोरेंट और ढाबे वाले कोरोना के इस दौर में और भी ज्यादा संकट में आ गए हैं. इन लोगों का कहना है कि गड्ढों के कारण वाहन चालकों का यहां रुकना बंद हो गया है. इसके चलते उनका कारोबार बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है.
पढ़ेंःबूंदीः कोटा-दौसा मेगा हाईवे पर एक ही दिन में तीन हादसे...मची अफरा-तफरी