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बांसवाड़ा: गोबर के ढ़ेर में दफन मिली नाबालिग बच्ची, स्थिति गंभीर - महात्मा गांधी चिकित्सालय

बांसवाड़ा जिले के अरथुना थाना पुलिस के अंतर्गत गोबर की ढ़ेर में एक नवजात बच्ची दबी हुई मिली, जिसका स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज चल रहा है. स्थिति गंभीर होने पर उसे उदयपुर रेफर किया जा सकता है. फिलहाल पुलिस इस मामले में गहनता से जुटी हुई है.

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Published : Nov 13, 2019, 7:19 PM IST

बांसवाड़ा.जिले के अरथुना थाना अंतर्गत जोलाना गांव में अज्ञात महिला की ओर से गोबर के ढ़ेर में दफन की गई एक नवजात बच्ची की हालत नाजुक बनी हुई है. हालांकि चिकित्सकों की देखरेख में उसका उपचार चल रहा है, लेकिन हालत गंभीर देखते हुए उसे उदयपुर रेफर किया जा सकता है. फिलहाल अच्छी खबर यह है कि बालिका की माता के संबंध में कुछ ठोस सुराग हाथ लगे हैं. इसकी अरथुना पुलिस को जानकारी भेजी गई है.

गोबर की ढ़ेर में दफन मिली नाबालिग बच्ची

जानकारी के अनुसार नवजात सिर्फ 48 घंटे की है, जिसे महात्मा गांधी चिकित्सालय की स्पेशल न्यू बॉर्न यूनिट में चिकित्सकों की निगरानी में रखा गया है. संक्रमण के कारण चिकित्सक भी अभी उसके स्वास्थ्य में सुधार के संबंध में कुछ कहने की स्थिति में नहीं है. अगले 24 घंटे उसके लिए महत्वपूर्ण माने गए हैं.

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इस बीच बाल संरक्षण समिति के अध्यक्ष हरीश त्रिवेदी हॉस्पिटल पहुंचे और बालिका के उपचार की व्यवस्थाओं के संबंध में जानकारी ली. चिकित्सकों ने बताया कि फिलहाल बालिका की स्थिति को लेकर कुछ भी कहा नहीं जा सकता है. संक्रमण के अलावा उसे सांस लेने में भी तकलीफ हो रही है. अगले कुछ समय में स्वास्थ्य में सुधार नहीं होने की स्थिति में उसे उदयपुर रेफर करने का निर्णय किया जा सकता है.

कलयुगी मां तक पहुंचने का मिला रास्ता

हालांकि अरथुना पुलिस ने अज्ञात महिला के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर लिया है. लेकिन हॉस्पिटल में नवजात बच्ची की निर्दयी मां के संबंध में एक पुख्ता सबूत हाथ लगा है. बालिका की नाल पर एक बैंड मिला है. इससे पता चलता है कि बालिका का जन्म किसी हॉस्पिटल में हुआ था. बाल संरक्षण समिति इस संबंध में पुलिस को एक लेटर भेजते हुए इस बारे में सूचना भेज रही है. बैंड के आधार पर पुलिस बालिका के जीवन को संकट में डालने वाली उसकी बात तक पहुंच सकती है.

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समिति अध्यक्ष त्रिवेदी के अनुसार हम इस संबंध में पुलिस को पत्र भेज रहे हैं. संबंधित महिला के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए जा रहे हैं. बता दें कि 2 दिन पहले अज्ञात महिला जोलाना गांव में 24 घंटे के प्रीमेच्योर नवजात को गोबर के ढेर में दबाकर चली गई थी. गनीमत यह रही कि 10 से 12 घंटे बाद उधर से गुजर रहे एक शिक्षक पीयूष उपाध्याय ने बच्ची के रोने की आवाज सुन ली और ग्रामीणों के सहयोग से उसे स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर भेजा.

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