बांसवाड़ा. देश और दुनिया किलर कोरोना वायरस को लेकर खौफ में जी रही है और सरकार इस महामारी को रोकने के लिए हर संभव कदम उठा रही है, लेकिन आपदा की स्थिति में भी कुछ लोग चांदी कूटने के मोह को नहीं त्याग पा रहे हैं. कोरोना से बचाव के लिए मास्क और सैनिटाइजर काफी अहम है. जबसे इनकी डिमांड बढ़ी है, इनकी कालाबाजारी ने भी जोर पकड़ लिया है. यहां तक कि डिमांड के मुकाबले सप्लाई एक चौथाई भी नहीं हो रही है. नतीजतन मास्क की दस दस गुना कीमत वसूली जा रही है और पूरे शहर में मेडिकल स्टोर पर मास्क नहीं मिल रहे हैं.
बताया जा रहा है कि जिन कंपनियों से मॉस्क और सैनिटाइजर मंगवाए जा रहे थे वहां से सप्लाई एकदम बंद कर दी गई है. कुछ कंपनियां जो माल भेज रही है वो भी मांग के मुकाबले बहुत कम है. ऐसे में इन दोनों ही वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही है. जब से कोरोना वायरस की हवा चली है तब से ही धीरे धीरे मॉस्क और सैनिटाइजर गायब ही हो गए है. जबकि वर्तमान में प्रिकॉशंस के तौर पर इनकी सबसे ज्यादा जरूरत है.
ईटीवी भारत की टीम ने शहर के कुछ मेडिकल स्टोर पर पड़ताल की तो सामने आया कि पिछले एक पखवाड़े से मेडिकल स्टोर्स पर पड़ताल की गई तो सैनिटाइजर तो दूर की बात है मास्क तक उपलब्ध नहीं थे. मेडिकल व्यवसायियों का कहना था कि पिछले 15 दिन से दोनों ही वस्तुओं की कमी चल रही है. पहले तो कंपनियां मांग के मुकाबले सप्लाई ही नहीं दे रही है और थोड़ी बहुत सप्लाई भेज रही है तो वह भी 25 से 30 रुपए की एमआरपी लगा कर भेज रही है. उनके सामने सबसे बड़ी दुविधा ये है कि इस रेट में यदि ग्राहकों को मॉस्क बेचे जाए तो हम पर सवाल उठाए जाते हैं. यहां तक कि प्रशासन को शिकायत तक की जाती है. यह सही है कि हमें 15 दिन पहले तक ₹3 में मॉस्क मिल रहे थे, लेकिन अब कंपनियों की ओर से ही रेट बढ़ाकर सप्लाई की जा रही है तो हम क्या कर सकते हैं.