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करोड़ के लिए छोड़ दी थी करोड़ों की जमीन, फिर खड़ा हो गया जांच का जिन्न - banswara nagar parishad

बांसवाड़ा शहरी सरकार की ओर से वित्तीय संकट को लेकर करोड़ों की जमीन छोड़ने के मामले में पिछले समय लिए गए निर्णय को लेकर अब बोर्ड ने इसकी जांच का निर्णय लिया है. इस संबंध में पक्ष और विपक्ष दोनों ही पार्षदों एक साथ नजर आए. जिसके बाद सभापति की ओर से इस संबंध में निर्णय लिया गया है.

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बेशकीमती जमीन मामले में जांच का जिन्न फिर आया बाहर

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Published : Dec 14, 2019, 12:52 PM IST

बांसवाड़ा. आर्थिक हालात खराब बताकर गत नगर परिषद बोर्ड की ओर से करोड़ों की जमीन अब अवाप्त मुक्त करने का जिन्न जिंदा होता दिख रहा है. इस मसले पर पक्ष के साथ-साथ विपक्षी भाजपा पार्षदों के साथ आने से न केवल मामले की जांच का रास्ता साफ हो गया है. बल्कि, करोड़ों की जमीन फिर से नगर परिषद के पाले में आने की संभावना बन रही है.

बेशकीमती जमीन मामले में जांच का जिन्न फिर आया बाहर

इस मामले को भाजपा के बागी और निर्दलीय पार्षद महेश तेली द्वारा परिषद बोर्ड की आय बढ़ाने संबंधी सुझाव के दौरान पहली बैठक में प्रभावी तरीके से उठाया गया तो नगर परिषद की नजर फिर से इस मामले पर पड़ गई. पार्षद तेली ने कहा कि अब आप की गई जमीन को अवाप्त मुक्त करने का अधिकार सरकार के पास होने के बावजूद गत बोर्ड द्वारा प्रशासनिक समिति के जरिए अपने स्तर पर इस बेशकीमती जमीन को अवाप्ति से मुक्त कर दिया गया.

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जबकि, पार्टी के ही चार सदस्य पार्षदों ने इसका जमकर विरोध किया था. पूर्व उप सभापति और भाजपा पार्षद महावीर बोहरा ने पार्षद तेली का समर्थन करते हुए अवैध तरीके से जमीन अवाप्ति मुक्त के मामले को हवा दी. इस मसले पर भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के पार्षदों के एक मंच पर आने के साथ ही नगर परिषद सभापति जैनेंद्र त्रिवेदी ने मामले की जांच कराने पर मुहर लगा दी.

वित्तीय संकट बता लिया था निर्णय

जांच के इस निर्णय के साथ ही खेल स्टेडियम के पीछे वाली करोड़ों की कीमत वाली बेशकीमती जमीन के इस मामले की आंच तत्कालीन सभापति मंजू बाला के साथ-साथ इस निर्णय में शामिल अधिकारियों पर आने की भी आशंका जताई जा रही है. इसके लिए तत्कालीन समिति द्वारा वित्तीय संकट बताया गया और महज सवा करोड़ रुपए की खातिर ₹200000000 की जमीन को छोड़ने का समिति द्वारा निर्णय लिया गया था.

कलेक्टर ने दिखाया था रास्ता

नगर परिषद बोर्ड की खस्ता हालत को देखते हुए वर्ष 2005 में तत्कालीन कलेक्टर ने खेल स्टेडियम के पीछे की जमीन अवाप्ति के आदेश दिए थे. इसके 8 साल बाद खातेदारों ने इस जमीन को अवाप्ति से मुक्त करने की मांग उठाई. इस जमीन के पेटे नगर परिषद को करीब एक करोड़ रुपए का भुगतान करना था. लेकिन, 20 अप्रैल 2017 को नगर परिषद की प्रशासनिक समिति ने निर्णय लेकर खातेदारों के हक में फैसला दे दिया और अनापत्ति प्रमाण पत्र भी जारी कर दिया था. जबकि उस समय ही इस जमीन की कीमत बाजार भाव के अनुसार 20 करोड़ रुपए से अधिक की आंकी जा रही थी.

मामले की कराएंगे जांच

नगर परिषद सभापति जैनेंद्र त्रिवेदी के अनुसार पक्ष और विपक्ष के पार्षदों की मांग को देखते हुए हमने खेल स्टेडियम के पीछे स्थित जमीन के मामले में अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किए जाने की जांच का निर्णय किया है. उक्त जमीन के आने पर परिषद की आर्थिक स्थिति काफी मजबूत हो सकेगी. हम इस राशि से शहर का विकास और बेहतर तरीके से कर सकेंगे. फिलहाल, इस मामले की जांच का निर्णय लिया गया है.

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