बांसवाड़ा.दुबले को दो आषाढ़ वाली कहावत उदयपुर संभाग के सबसे बड़े गोविंद गुरु राजकीय महाविद्यालय के साथ चरितार्थ हो रही है. जहां पिछले कई सालों से धीरे-धीरे व्याख्याताओं की संख्या कम होती जा रही है. वहीं अब राजनीतिक कुद्रष्टि महाविद्यालय की शैक्षणिक व्यवस्था को तार-तार करती दिख रही है. यहां पहले से ही एक तिहाई व्याख्याता से काम चलाया जा रहा था.
गत दिनों सरकार ने एक आदेश जारी कर कुछ व्याख्याताओं को डेपुटेशन की आड़ में अन्यत्र भेज दिया गया. जिसका खामियाजा यहां अध्ययनरत गरीब छात्र-छात्राओं को भुगतना पड़ रहा है.हालत यह है कि कई विषयों के व्याख्याताओं के पद रिक्त है. इसके चलते कई कक्षाओं के पाठ्यक्रम एक चौथाई भी पूरे नहीं हो पाए हैं और विद्यार्थी अपने भविष्य को लेकर चिंतित नजर आते हैं.आदिवासी बहुल बांसवाड़ा के इस कॉलेज में वर्तमान में करीब 7000 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत है.विद्यार्थियों की संख्या के लिहाज से यह महाविद्यालय उदयपुर संभाग का सबसे बड़ा महाविद्यालय माना जाता है. लेकिन पिछले कुछ समय से अध्यापन कार्य को लेकर ग्रहण लगा हुआ है.ईटीवी भारत की ओर से यहां की शिक्षण व्यवस्था को लेकर आंकड़े जुटाए गए तो हैरानी भरी बात सामने आई की इस महाविद्यालय के लिए 115 व्याख्याताओं के पद स्वीकृत है.
लेकिन आज हालात ये है कि तीन दर्जन व्याख्याता भी दिखाई नहीं देते. इसका कारण यह है कि कई व्याख्याताओं ने समय के साथ अपने इच्छित स्थान पर ट्रांसफर करवा लिए तो कुछ को डेपुटेशन के नाम पर इधर-उधर कर दिया गया. स्थिति 35 से 36 तक पहुंच गई. इकोनॉमिक्स हो या जियोग्राफी, हिस्ट्री या इंग्लिश जिन कक्षाओं में 3-3 टीचर्स की जरूरत है वहां बमुश्किल 1-1 व्याख्याता भी नहीं है. ऐसे में कई क्लासों में तो सप्ताह में 2 दिन क्लास भी नहीं लग रही है. नतीजा यह निकला कि सत्र शुरू होने के 4 माह बाद भी कई क्लासों के पाठ्यक्रम भी पूरे नहीं हो पाए. इसे लेकर छात्र-छात्राएं चिंतित नजर आते हैं.