बांसवाड़ा. त्योहारों को लेकर हमारे देश में अलग-अलग रीति रिवाज और परम्पराएं निभाई जाती हैं. वहीं फाल्गुन के महीने में कही लठमार होली खेली जाती है तो कहीं पत्थर मार होली खेली जाती है. बता दें कि एक जगह कंडा मार होली खेली जाती है. बच्चें से बुजुर्ग तक अपने-अपने प्रतिद्वंदी पर कंडे से निशाना साधते हैं. बांसवाड़ा जिले के जोलाना गांव में सदियों से चल रही इस परंपरा के अंतर्गत लोग सज धज कर मंदिर पहुंचते हैं. जहां पहले दो लोगों के बीच एक दूसरे को कंडे मारे जाते हैं.
इसके बाद यह राड एक से अधिक लोगों के बीच पहुंच जाता है और जिसे जो मौका मिला आनन-फानन में निशाना साधा नजर आता है. यहीं नहीं महिलाएं प्रत्येक प्रकार का नृत्य करती है जिसे स्थानीय भाषा में घूमर कहा जाता है. होली के तीसरे दिन जिला मुख्यालय से करीब 35 घंटे दूर जोलाना गांव में होने वाली इस कंडो की राड को देखने के लिए आसपास के गांव से भी बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं. उसी परंपरा को निभाते हुए गुरुवार को गांव के बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक सज-धज कर लक्ष्मी नारायण मंदिर पहुंचे है.