बांसवाड़ा. बांसवाड़ा शहर और जिले में व्यापारियों से प्रशिक्षण के नाम पर 700-700 रुपए वसूलने का फ्रॉड सामने आया है. शनिवार को ठगों की पूरी टीम को व्यापारियों ने पकड़कर कोतवाली पुलिस के हवाले कर दिया. इन लोगों से पूछताछ की जा रही है.
पुलिस ने संजय कुमार बैरवा सहित अन्य ठगों को हिरासत में लिया है. 8 लोगों की यह ठग गैंग इलाके में फूड सेफ्टी की ट्रेनिंग के नाम पर व्यापारियों से 700-700 रुपये वसूल रही थी. बांसवाड़ा खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के संरक्षक केके अग्रवाल ने बताया कि बीते दिनों सीएमएचओ से मैसेज मिला था कि जिले में एक टीम घूम रही है जो व्यापारियों से 700-700 रुपए वसूल रही है.
बांसवाड़ा में व्यापारियों से ठगी ऐसे में सभी व्यापारियों को आगाह रहने के लिए कहा गया था. इस पर आज दोपहर करीब 2:00 बजे पुराना बस स्टैंड के सामने एक दुकान पर 2 महिलाएं और 6 युवक आए. उन्होंने चिकित्सा विभाग की ओर से फूड सेफ्टी प्रशिक्षण दिए जाने की बात कही. ट्रेनिंग के लिए 700 रुपये की रसीद काटने की तैयारी होने लगी. उन्होंने कहा कि रसीद नहीं कटवाई तो वे लोग दुकान से सामान का सैंपल ले जाएंगे, इससे व्यापारी का बड़ा नुकसान हो जाएगा. व्यापारी इस तरह की ठगी को लेकर पहले ही सतर्क थे. उन्होंने टीम को पुलिस के हवाले कर दिया.
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सिटी को-ऑर्डिनेटर टोंक का, आई कार्ड बांसवाड़ा का
जो युवक अपने आप को बांसवाडा शहर का को-ऑर्डिनेटर बता रहा था, उसने खुद को टोंक का रहने वाला बताया. जब उसका आई कार्ड देखा गया तो पता चला कि उसने बांसवाड़ा में आकर ही आई कार्ड को प्रिंट कराया है. जबकि दो महिलाएं बांसवाड़ा के सज्जनगढ़ क्षेत्र की रहने वाली निकली. अन्य युवकों के दस्तावेज की जांच की जा रही है.
तलवाड़ा क्षेत्र में 30 से ज्यादा व्यापारियों से ठगे रुपये
बीते दिनों जिले के तलवाड़ा कस्बे में आरोपियों ने 30 से ज्यादा व्यापारियों से रुपए वसूले थे. आरोपी ठग व्यापारियों को संचय एजुकेशन नाम के एक ट्रस्ट की रसीद भी दे रहे थे. उनके पास इस ट्रस्ट के तमाम दस्तावेज भी थे. महिलाओं को साथ रखने से पूरा मामला संदिग्ध लगा. ऐसे में रास्ता लाभ चौकी प्रभारी एएसआई सरदार सिंह सभी आरोपियों को थाने ले गए.
शुरुआती पूछताछ में पुलिस को नहीं दी रसीद
मौके पर ही पुलिस ने प्राथमिक स्तर की पूछताछ की. ऐसे में एक भी आरोपी ट्रस्ट की रसीद नहीं दिखा पाया. ऐसा इसलिए क्योंकि वे रसीद दिखाना नहीं चाहते थे. सभी आरोपियों के पास थैले थे. थैले में कंपनी की ओर से दिया गया पूरा किट मौजूद था. जब रसीद मांगी गई तो किसी ने भी पुलिस को रसीद नहीं दी. ऐसे में पूरा मामला ज्यादा संदिग्ध लगा.