बांसवाड़ा.कोरोना वायरस के संक्रमण के बीच हुए लॉकडाउन को 2 महीने का समय हो चुका है. लोगों को बेवजह घर से बाहर निकलने के लिए पाबंदी लगाई गई है. इसके चलते गरीब और मजदूर तबके के लोगों को खाने के लाले पड़ गए. क्योंकि, लॉकडाउन के दौरान ना ही किसी को कही जाने दिया जाता था और ना ही किसी प्रकार के काम करने अनुमति दी जा रही थी. इस संकट की घड़ी में खाद्य सुरक्षा योजना के साथ-साथ प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना ऐसे लोगों के लिए एक प्रकार से सारथी बनकर उभरी. क्योंकि, रोज कमाकर खाने वाले इन मजदूरों के पास कमाई का कोई साधन नहीं था. ऐसे में राज्य के साथ-साथ केंद्र सरकार की ओर से राशन का नि:शुल्क वितरण किया जाना इस वर्ग के लिए और भी हितकारी साबित हुआ.
राशन नि:शुल्क करने का सबसे सुखद परिणाम यह रहा कि समाज का यह तबका अपने घरों पर सुरक्षित रह पाई, जिससे सरकार कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए काफी हद तक कामयाब रही. इस दौरान अकेले बांसवाड़ा जिले में ही करीब 60 प्रतिशत से अधिक परिवारों ना केवल गेहूं बल्कि दाल तक नि:शुल्क उपलब्ध कराई गई. इन सबमें सबसे बड़ी बात यह रही कि अप्रैल और मई महीने का राशन घर-घर जाकर वितरित करवाया गया. इसमें पात्र 85 से 90 प्रतिशत परिवारों तक यह सुविधा पहुंचाई गई.
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हालांकि, लॉकडाउन की घोषणा के साथ ही बड़ी संख्या में सामाजिक संगठनों के लोग तत्काल ही सामने आ गए और गरीब वर्ग के लोगों तक भोजन के साथ-साथ खाद्य सामग्री के पैकेट पहुंचाने का क्रम शुरू हो गया. इस बीच लगभग 60 प्रतिशत से अधिक परिवारों तक इन सामाजिक संगठनों का पहुंचना मुश्किल था. इस पर सरकार ने संवेदनशीलता दिखाते हुए तत्काल कदम उठाया और इस प्रकार के परिवारों के लिए नि:शुल्क राशन वितरण की घोषणा कर दी. साथ ही इस पर हाथों-हाथ काम भी शुरू कर दिया गया. इस बीच मार्च के अंत तक खाद्य सुरक्षा योजना के दायरे में आने वाले 3 लाख 85 हजार में से 90 प्रतिशत परिवारों तक नि:शुल्क गेहूं पहुंचा दिया गया.