बांसवाड़ा.जिले में बीते 48 घण्टे में भारी बारिश के चलते मध्यप्रदेश से आ रहा पानी के सैलाब से नदी खतरे के निशान से 7 मीटर ऊपर बह रही है. इससे माही बैकवाटर क्षेत्र के डूब क्षेत्र में बाढ़ के हालात बन गए है. वहीं छायन बड़ी गांव मे नदी में आया सैलाब के चलते दर्जनों गांव के 40 से 50 मकान पानी मे बह गए तो.
बांसवाड़ा में आफत बनी बाढ़ वहीं भारी बारिश के चलते रतलाम मार्ग बाधित हो चुका है. नेगड़िया पुल के पास भी बने मकान पानी मे किश्ती की तरह बह गए. बूंदन नदी के पास आठ किराना की दुकानें भी सैलाब में बह गई. माही बैकवाटर क्षेत्र में बाढ़ के चलते लोग अपने घर छोड़कर जान की सुरक्षा में जुटे हैं. नहीं प्रशासन की अगर बात करें तो कोई मदद नहीं पहुंच रही. जबकि जैसे हालात वहां बन रहे हैं, तत्काल हेलीकॉप्टर के जरिए सर्वे होना चाहिए ताकि लोगों की मुसीबत का अनुमान लगाया जा सके.
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1977 में आ चुकी है बाढ़
बांसवाड़ा जिले में कई वर्षों के बाद बाढ़ जैसे हालात बन हैं. पूरे जिले में नदी नाले उफान पर हैं. दर्जनों गांव जलमग्न हो चुके हैं. इससे पहले 1977 में भी बांसवाड़ा भयंकर बाढ़ का सामना कर चुका है. वहीं 2004 में भी गणपति विसर्जन के दौरान भारी बारिश के चलते बाढ़ हालत हुए थे. अब फिर लगातार दो दिन से जारी बारिश ने वही हालात पैदा कर दिए हैं.
आलम ये है कि शिक्षण संस्थाओं में अवकाश घोषित किया गया है. वहीं माही बांध के गेट 10 मीटर तक खुलने के समाचार आ रहे हैं. माही बांध के आसपास माही डैम, मूंगड़ा गांव में भी हालात खराब हैं. माही डेम के 16 गेट 10 मीटर तक खोले जाने पर जिला कलेक्टर ने सागवाड़ा में घर खाली करने के आदेश माइक से दे दिए हैं. बता दें मध्यप्रदेश में भी भारी बारिश के चलते पानी की आवक चंबल नदी में भी हो रही है. राजस्थान के कोटा जिले में बाढ़ में भी हालात कुछ ऐसे ही हैं.
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पेड़ पर चढ़कर बचाई जान
इधर नापला गांव में एक टैम्पो एक किलोमीटर तक पानी के बहाव में बह गया, जिसमें चालक भी गम्भीर रूप से घायल हो गया. घोड़ी तेजपुर के भाटड़ा पाड़ा गांव बाढ़ आने से एक घर के 9 सदस्यों ने पेड़ पर चढ़कर अपनी जान बचाई. हालांकि बाद में स्थानीय पुलिस ने अपनी जान जोखिम में डालकर 7 बच्चे एक महिला और एक पुरुष को रेक्सक्यू कर बाहर निकाला. साथ ही 5 मवेशियों को भी सुरक्षित जगह पहुंचाया.