बांसवाड़ा.यूं तो शहर और जिले में भारी-भरकम जंगल है और अक्सर पैंथर दिखाई देते हैं. पर ऐसा पहली बार हुआ है कि जब शहर के आबादी क्षेत्र में पैंथर दिखाई दिया है. वह भी महज 10 दिन के भीतर ही दूसरी बार. बीती रात्रि में सर्किट हाउस के निकट एक मादा पैंथर को दो शावकों के साथ देखा (Female panther with cubs seen in residential area in Banswara) गया.
सर्किट हाउस के निकट दीवार पर बैठा: शहर में एसपी चौराहे के निकट ही सर्किट हाउस है, जिसके एक तरफ जंगल है. यहां पर 10 दिन में दूसरी बार पैंथर दिखाई दिया है. पहली बार पैंथर को दीवार पर बैठे देखा गया था. पर इस बार एक मादा पैंथर दो शावकों के साथ दिखाई दी है. कुछ लोगों ने रोशनी में इनके फोटो और वीडियो भी लिए हैं. जिसमें पैंथर चहलकदमी करते दिखाई दे रहे हैं. वन विभाग अधिकारियों का कहना है कि इनको किसी तरह शहर की आबादी से जंगल की तरफ मूव करवाने की कोशिश की जा रही है.
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हां दिखाई दे रहे हैं, जंगल की तरफ मूव कराएंगे:डीएफओ हरिकिशन सारस्वत ने बताया कि हां यह बात सही है कि शहर में कुछ ही दिनों में दो बार पैंथर दिखाई दिए हैं. बीती रात्रि में मादा पैंथर को दो शावकों के साथ स्पॉट किया गया है. हमारी कोशिश है कि किसी भी तरह इन्हें जंगल की तरफ मूव कराया जाए. यदि आबादी के बीच में पैंथर रहेगा, तो वह किसी के लिए भी खतरनाक हो सकता है. रेंज स्तर से भी इस मामले में कार्रवाई शुरू कर दी गई है.
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पहाड़ और पानी से घिरा हुआ बांसवाड़ा का जंगल हमेशा से ही पैंथर का मनपसंद एरिया रहा है. बांसवाड़ा में हुई आखरी वन्यजीव गणना के अनुसार 26 पैंथर पहचाने गए थे. अनुमान इससे भी कहीं ज्यादा का है. आदिवासी बहुल करीब 20 लाख की आबादी वाले जिले का क्षेत्रफल 5037 वर्ग किलोमीटर है. यहां पर बारिश भी पूरे राजस्थान में सर्वाधिक होती है, जिसका औसत 850 एमएम के करीब है. ऐसे में यहां का जंगल वन्यजीव और वनस्पति के लिए आदर्श है. जिले के बीच से माही नदी बहती है. इन कारणों के चलते घाटोल रेंज में सर्वाधिक पैंथर दिखाई देते हैं.