बांसवाड़ा. किसानों पर एक ओर भारी बारिश के चलते खराबे की मार पड़ी तो दूसरी ओर जैसे-तैसे खेतों से जो सोयाबीन उपजी, उसे भी सरकार पूरा खरीदने को तैयार नहीं है. बता दें कि सरकार ने अनुमानित पैदावार के एक चौथाई हिस्से की खरीदारी का पेच फंसा दिया. नतीजा ये है कि 20 दिन बाद भी किसान सरकारी खरीद केंद्र के इर्द-गिर्द भी नहीं फटक रहे हैं.
पैदावार के एक चौथाई हिस्से पर समर्थन मूल्य
सरकार ने सोयाबीन के समर्थन मूल्य की खरीद को लेकर किसानों और खरीद केंद्रों के बीच शर्तों के बैरिकेड लगा दिए हैं. सरसों का समर्थन मूल्य मार्केट रेट से करीब 100 रुपए अधिक रखते हुए 3,710 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है. लेकिन आधार कार्ड और भामाशाह से लिंक करते हुए ऑनलाइन पंजीयन, पटवारी से गिरदावरी रिपोर्ट अपलोडिंग के बाद माल की ग्रेडिंग का खर्च भी किसानों को अपनी जेब से देने की शर्त जोड़ी गई है.
प्रति बीघा 50 से 60 किलो की खरीद
इस खरीद में सबसे बड़ी विसंगति प्रति बीघा खरीद की जाने वाली सोयाबीन की सीमा है. कृषि विभाग द्वारा जिले में प्रति हैक्टेयर सोयाबीन की पैदावार की मात्रा निर्धारित की गई है. बांसवाड़ा के लिए कृषि विभाग द्वारा प्रति हैक्टेयर करीब 4 क्विंटल उपज का अनुमान लगाया गया है.
नेफेड की शर्तों के अनुसार इस उपज का 25 फीसदी सोयाबीन समर्थन मूल्य पर खरीदा जा सकेगा. एक हैक्टेयर में करीब पौने 5 बीघा जमीन होती है. इसके अलावा भी नमी, दागदार और सी सिकुरा दाने के नाम पर करदा काटा जाना अतिरिक्त है. इस आधार पर प्रति बीघा 50 से 60 किलो ग्राम सोयाबीन की समर्थन मूल्य पर खरीदारी की जा सकेगी.