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जमीन के उपजाऊपन पर भी सरकारी बंदिश, सोयाबीन की पैदावार के एक चौथाई हिस्से की ही समर्थन मूल्य पर खरीद

कृषि उपज को बढ़ाने के लिए सरकार तरह-तरह के जतन कर रही है. अत्याधुनिक तकनीक के साथ-साथ किसानों को खाद-बीज आदि पर भी सब्सिडी दी जा रही है, लेकिन 2019 के लिए केंद्र सरकार द्वारा घोषित समर्थन मूल्य पर सोयाबीन की खरीद शर्तों के चक्रव्यूह में उलझा कर रख दी गई है.

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Published : Nov 5, 2019, 12:33 PM IST

बांसवाड़ा. किसानों पर एक ओर भारी बारिश के चलते खराबे की मार पड़ी तो दूसरी ओर जैसे-तैसे खेतों से जो सोयाबीन उपजी, उसे भी सरकार पूरा खरीदने को तैयार नहीं है. बता दें कि सरकार ने अनुमानित पैदावार के एक चौथाई हिस्से की खरीदारी का पेच फंसा दिया. नतीजा ये है कि 20 दिन बाद भी किसान सरकारी खरीद केंद्र के इर्द-गिर्द भी नहीं फटक रहे हैं.

बांसवाड़ा में सोयाबीन की खरीद सीमा से किसान परेशान

पैदावार के एक चौथाई हिस्से पर समर्थन मूल्य

सरकार ने सोयाबीन के समर्थन मूल्य की खरीद को लेकर किसानों और खरीद केंद्रों के बीच शर्तों के बैरिकेड लगा दिए हैं. सरसों का समर्थन मूल्य मार्केट रेट से करीब 100 रुपए अधिक रखते हुए 3,710 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है. लेकिन आधार कार्ड और भामाशाह से लिंक करते हुए ऑनलाइन पंजीयन, पटवारी से गिरदावरी रिपोर्ट अपलोडिंग के बाद माल की ग्रेडिंग का खर्च भी किसानों को अपनी जेब से देने की शर्त जोड़ी गई है.

प्रति बीघा 50 से 60 किलो की खरीद

इस खरीद में सबसे बड़ी विसंगति प्रति बीघा खरीद की जाने वाली सोयाबीन की सीमा है. कृषि विभाग द्वारा जिले में प्रति हैक्टेयर सोयाबीन की पैदावार की मात्रा निर्धारित की गई है. बांसवाड़ा के लिए कृषि विभाग द्वारा प्रति हैक्टेयर करीब 4 क्विंटल उपज का अनुमान लगाया गया है.

नेफेड की शर्तों के अनुसार इस उपज का 25 फीसदी सोयाबीन समर्थन मूल्य पर खरीदा जा सकेगा. एक हैक्टेयर में करीब पौने 5 बीघा जमीन होती है. इसके अलावा भी नमी, दागदार और सी सिकुरा दाने के नाम पर करदा काटा जाना अतिरिक्त है. इस आधार पर प्रति बीघा 50 से 60 किलो ग्राम सोयाबीन की समर्थन मूल्य पर खरीदारी की जा सकेगी.

मार्केट में तो जाना ही होगा

बांसवाड़ा में भारी बारिश के बावजूद किसानों ने अपनी मेहनत के बूते प्रति बीघा 1 से लेकर डेढ़ क्विंटल तक सोयाबीन की उपज ली है. ऐसे में किसानों के पास अपनी आधी उपज को मार्केट में बेचने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. भूपेश पटेल का कहना है कि यदि आधी सोयाबीन को मार्केट में ही बेचनी है तो आखिर शर्तों के झंझट में फंसते हुए खरीद केंद्र पर सोयाबीन बेचने क्यों जाएंगे.

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उन्होंने कहा कि एक साथ सोयाबीन की तुलाई पर हमें मूल्य भी अच्छा मिलेगा. वहीं खरीद केंद्र पर जाने ले जाने और कागजी कार्रवाई का भी कोई झंझट नहीं रहेगा. कृषि उपज मंडी बांसवाड़ा में नेफेड की कार्यकारी एजेंसी बांसवाड़ा क्रय विक्रय सहकारी समिति के प्रबंधक परेश पांड्या के अनुसार जिले में बांसवाड़ा जिला मुख्यालय के अलावा बागीदौरा में भी खरीद केंद्र शुरू कर दिया गया है.

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नेफेड के निर्देशानुसार कृषि विभाग द्वारा सोयाबीन की निर्धारित अनुमानित पैदावार के एक चौथाई हिस्से की समर्थन मूल्य पर खरीदारी की जा रही है. प्रति बीघा 60 किलो सोयाबीन समर्थन मूल्य पर खरीदी जा रही है.

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