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Ground Report: राजफेड गेहूं खरीद केंद्र से किसानों का मोहभंग! बारदाना खत्म होने के चलते 20 से 25 दिन बाद भुगतान

बांसवाड़ा में 1 अप्रैल से गेहूं की समर्थन मूल्य पर खरीदारी हो रही है. इसके लिए बांसवाड़ा जिला मुख्यालय के साथ 6 अन्य स्थानों पर खरीद केंद्र खोले गए. कोरोना के बीच बड़ी संख्या में काश्तकार अपनी उपज लेकर खरीद केंद्र पहुंचे. लेकिन बीते दो माह से खरीद कार्य ना चलने के कारण कुछ केंद्रों के बंद होने की नौबत तक आ गई है. फिलहाल, तीन केंद्रों पर खरीदारी थम गई हैं.

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गेहूं खरीद केंद्र से किसानों का मोहभंग

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Published : Jun 4, 2020, 9:26 PM IST

बांसवाड़ा.जिले में गेहूं खरीद केंद्रों की एक खामी के चलते पिछले 3 दिन से यहां वीरानी छाई हुई है. बारदाना खत्म होने के अलावा किसानों को समय पर उनकी उपज का भुगतान नहीं मिल पा रहा है. गेहूं खरीदारी के करीब 20 से 25 दिन बाद भुगतान हो रहा है. कुछ काश्तकारों को एक-एक माह बाद भुगतान मिल पाया है. जबकि अन्य खरीद केंद्रों पर 24 घंटे के भीतर भुगतान किया जा रहा है. इसके चलते जिला मुख्यालय पर संचालित खरीद केंद्र से किसानों का मोहभंग हो गया है. किसान बांसवाड़ा के बजाए गांव में जाकर खरीद केंद्रों पर अपनी उपज बेच रहे हैं.

गेहूं खरीद केंद्र से किसानों का मोहभंग

Etv Bharat की टीम ठीकरिया स्थित कृषि उपज मंडी में संचालित खरीद केंद्र पर पहुंची तो वहां के हालात देखकर दंग रह गई. यहां गेहूं तुलाई के लिए एक कर्मचारी बैठा था. जब पता किया तो सामने आया कि पिछले 3 दिन से यहां कोई भी किसान अपने जींस लेकर नहीं पहुंचा. ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की वेटिंग लिस्ट में 5 से 6 काश्तकारों के नाम थे. हालांकि खरीद केंद्र से उन काश्तकारों को फोन भी किया गया, लेकिन उन लोगों ने गेहूं लाने से इनकार कर दिया.

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टीम जब मामले की तह में गई तो एक और चौंकाने वाली बात सामने आई. हालांकि बांसवाड़ा, छींच और बागीदौरा में पिछले कुछ दिनों से बारदाना खत्म हो गया है. लेकिन बांसवाड़ा में राजफेड द्वारा संचालित खरीद केंद्र द्वारा किसानों को बीस पच्चीस दिनों तक भुगतान नहीं किया जा रहा है. कई काश्तकारों को एक महीने बाद उनकी उपज का भुगतान मिल पाया. जबकि भारतीय खाद्य निगम द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित अन्य केंद्रों पर गेहूं तुलाई के 24 घंटे के भीतर कीमत अदा की जा रही है.

1 अप्रैल से गेहूं की समर्थन मूल्य पर खरीदारी शुरू

क्या कहना है किसानों का...

जब इस संबंध में कुछ किसानों से बातचीत की गई तो राजफेड खरीद केंद्र की लापरवाही भी सामने आ गई. किसानों ने बताया कि खरीद केंद्र शुरू होने के तीन-चार दिन बाद ही वे अपनी उपज लेकर पहुंच गए. लेकिन भुगतान 20 से लेकर 25 दिन बाद हो पाया. भुगतान के लिए कई बार राजफेड के चक्कर तक काटे, लेकिन आजकल-आजकल करते-करते एक-एक महीना तक निकाल दिया गया. जबकि जिले के अन्य छह केंद्रों पर एफसीआई द्वारा खरीद की जा रही है और किसानों को जुलाई के बाद 24 घंटे के भीतर भुगतान किया जा रहा है. इसका नतीजा यह रहा कि किसानों ने यहां पर गेहूं लाना तो दूर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाना तक बंद कर दिया. कोई भी किसान भुगतान प्रक्रिया को लेकर अपनी उपज देने को तैयार नहीं है.

अब तक 22 हजार मीट्रिक टन हुई गेहूं की खरीद

अब तक 22 हजार मीट्रिक टन खरीद...

बांसवाड़ा सहित जिले के सभी सात केंद्रों पर अब तक 22 हजार मीट्रिक टन गेहूं की समर्थन मूल्य पर खरीदारी की जा चुकी है. ग्रामीण क्षेत्र के खरीद केंद्रों द्वारा अब तक किसानों को करीब 37 करोड़ रुपए का भुगतान किया जा चुका है. जबकि बांसवाड़ा केंद्र पर अब तक लगभग डेढ़ सौ काश्तकारों ने अपना गेहूं तुलवाया, जिनमें से आधे काश्तकारों का भुगतान अब भी बकाया चल रहा है.

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