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Special: अन्नदाताओं की मददगार बनी 'फसली ऋण योजना', करीब 85 प्रतिशत किसानों को मिला लाभ

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Published : Jun 27, 2020, 7:49 PM IST

कोरोना महामारी के दौर में केंद्र से लेकर राज्य सरकार, समाज के हर वर्ग के लिए कोई ना कोई योजना लेकर आई है. प्रवासी लोगों को ना केवल खाद्यान्न, बल्कि उनके लिए रोजगार की व्यवस्था भी की जा रही है. वहीं काश्तकारों के लिए 'फसली ऋण योजना' मददगार बनकर उभर रही है. ऑनलाइन अप्लाई के बाद महज कुछ दिन में ही ऋण आवंटन प्रक्रिया के चलते किसान इसका जमकर फायदा ले रहे हैं.

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फसली ऋण योजना बन रही किसानों के लिए वरदान

बांसवाड़ा.कोरोना संकट के दरमियान किसानों के लिए 'फसली ऋण योजना' वरदान साबित हो रही है. किसानों को यह योजना कितनी पसंद आ रही है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अब तक 85 प्रतिशत से अधिक किसान इसका लाभ ले चुके हैं. करीब एक अरब से अधिक की राशि का ऋण का आवंटन हो चुका है. सबसे अच्छी बात यह है कि किसानों को खाद और बीज की खरीद के लिए साहूकारों के सामने हाथ फैलाने से मुक्ति मिल गई. बिना किसी झंझट के उनकी कृषि भूमि की लिमिट के आधार पर उन्हें ऋण मिल रहा है. इस योजना की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि फसल की पैदावार के बाद ऋण राशि चुकाकर अगली फसल के लिए ऋण हासिल किया जा सकता है. इसकी ब्याज दर भी बहुत कम है.

फसली ऋण योजना बन रही किसानों के लिए वरदान

लगातार दो महीने से अधिक तक लॉकडाउन के बाद मानसून को सिर पर देखते हुए सरकार ने गत महीने ही 'शार्ट टर्म क्रॉप लोन स्कीम' लांच कर दी. यह स्कीम संकट के इस दौर में किसानों के लिए वरदान साबित हुई. बड़ी संख्या में काश्तकार ऑनलाइन अप्लाई के जरिए ऋण के लिए आगे आए. सबसे बड़ी खासियत यह है कि इस स्कीम में केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकार भी ब्याज राशि में से अपनी सहभागिता निभाती है. ऐसे में काश्तकारों को तीन से लेकर चार प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण देने का प्रावधान है.

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'फसली ऋण योजना' ये हैं कुछ आंकड़े

जमीन की लिमिट के आधार पर मिलता है ऋण

जमीन की लिमिट के आधार पर मिलता है ऋण

बता दें कि यह ऋण खातेदारी की जमीन की लिमिट के आधार पर दिया जाता है. हर काश्तकार की जमीन की लिमिट बैंक ने निर्धारित की है. उसी के आधार पर शॉर्ट टर्म लोन आवंटन का प्रावधान है. ईटीवी भारत की टीम ने इस बारे में जब कुछ काश्तकारों से बातचीत की तो सामने आया कि संकट के इस दौर में यह ऋण उनके लिए काफी सहूलियत प्रदान करने वाला है. बुवाई से पहले उन्हें खाद बीज की खरीददारी के लिए साहूकारों के यहां अपनी फसल गिरवी रखनी पड़ती या फिर ऊंची ब्याज दर पर कर्ज के लिए हाथ फैलाने पड़ते थे. लेकिन आज उनकी फसल भी उनके घर में हैं और खाद बीज भी घर पहुंच गया.

साहूकारों के सामने हाथ फैलाने से मुक्ति

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खाद और बीज की खरीददारी के लिए जितनी राशि की जरूरत थी, लिमिट के अनुसार उन्हें मिल चुकी है. सबको अपनी जमीन की खातिरदारी के हिसाब से फसली ऋण मिल रहा है और अब तक ऐसी कोई भी दिक्कत सामने नहीं आई. सबसे बड़ी बात यह है कि ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के बाद ऑनलाइन ही स्वीकृति और ऋण की राशि सीधे खाते में जमा हो रही है. इसके चलते उन्हें इधर-उधर चक्कर लगाने की जरूरत भी नहीं पड़ी. सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक बांसवाड़ा के वरिष्ठ शाखा प्रबंधक आशीष गुप्ता के अनुसार हमने लक्ष्य के मुकाबले अब तक 85 प्रतिशत किसानों को ऋण आवंटित कर दिया है. किसानों को बिना किसी परेशानी के फसली ऋण मिल जाए, इसका पूरा ध्यान रखा जा रहा है.

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