बांसवाड़ा. 'मौत का कुआं' नाम सामने आते ही अच्छे-अच्छों के पसीने छूट जाते हैं, लेकिन बांसवाड़ा स्थित माही डैम के पास रहने वाली 23 वर्षीय आदिवासी युवती रीना निनामा उसमें फर्राटे से बाइक चलाती है. 3 साल से अपने हैरतअंगेज कारनामे के जरिए वह अपने भाई-बहनों का पेट पाल रही थी, लेकिन कोरोना के चलते सारे आयोजनाें पर रोक लगने से उसके काम पर भी ब्रेक लग गया. घर की स्थिति ठीक न होने के कारण बाइक पर स्टंट दिखाने वाली रीना बकरियां चराने को मजबूर है.
रीना ने बताया कि कुछ दिन तो बचत से काम चला, लेकिन अब हालात बदतर हो गए हैं. परिवार चलाने के लिए वह खेतों में काम करने के साथ ही बकरियां चराती है. हालांकि उसके भाई भी मजदूरी करते हैं लेकिन परिवार बड़ा होने के कारण उनकी कमाई से घर चलना मुश्किल है. रीना अब तक देश के कई इलाकों में अपने हैरतअंगेज करतब दिखा चुकी है. इनमें ग्वालियर, कोटा, दिल्ली, मध्य प्रदेश के कुछ शहर, जयपुर, उदयपुर आदि शामिल हैं. यहां तक कि बांसवाड़ा में हर वर्ष लगने वाले नवरात्र मेले में भी बाइक पर करतब दिखाकर वह स्थानीय लोगों का दिल जीत चुकी है.
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बचपन में पिता छोड़ गए दुनिया
रीना अपने चार भाई-बहनों में से तीसरे नंबर पर आती है. जब वह तीन-चार साल की थी तभी माही परियोजना में बतौर ड्राइवर कार्यरत उसके पिता की नाकूड़ा की कैनाल में गिरने से मौत हो गई थी. उसके बाद उसकी मां ईतरी ने परिवार को संभाला और खेती-बाड़ी के जरिए गुजारा किया, लेकिन आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर थी कि अपने चारों बच्चों को उच्च प्राथमिक शिक्षा से ज्यादा पढ़ा नहीं पाई. रीना भी नवीं कक्षा तक ही पढ़ी है.