बांसवाड़ा. चिकित्सा विभाग अपने समय के साथ अनावश्यक खर्चो पर अंकुश लगाने जा रहा है. इससे न केवल ग्रामीण क्षेत्र की सेवाओं में सुधार होगा ,बल्कि प्रतिवर्ष लाखों रुपए के भत्तों से मुक्ति मिल सकेगी. यह होने जा रहा है चिकित्सा विभाग के नए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सेटअप से अब तक जयपुर से जिला मुख्यालय ही इस फैसिलिटी से कनेक्टेड थे.
बांसवाड़ा में जिला मुख्यालय से ब्लॉक तक सीसीटीवी सेटअप मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी अब जिले में ब्लॉक लेवल तक वीडियो कॉन्फ्रेंस सिस्टम पहुंचाने जा रहे हैं. बांसवाड़ा जिले में 8 ब्लॉक मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय है. जहां पर सीसीटीवी सहित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए आवश्यक सेटअप लगा दिया गया है. करीब साढे़ चार लाख रुपए के इस सेटअप से जिला मुख्यालय से इन पर नजर रखना और भी आसान हो जाएगा.
इस नए सेटअप से ग्रामीण क्षेत्र की चिकित्सा सेवाओं में और भी सुधार की उम्मीद है. सीएमएचओ जब भी चाहेंगे बीसीएमएचओ से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बातचीत कर सकेंगे,क्योंकि इसमें संबंधित व्यक्ति का सिस्टम के साथ उपस्थित होना जरूरी है ऐसे में अधिकारी इधर-उधर होने पर किसी भी प्रकार से अधिकारी को बरगला नहीं सकेंगे.
ऑफिस टाइम में कभी भी जिला मुख्यालय से उन्हें कनेक्ट किया जा सकेगा. इससे चिकित्सकों के साथ स्टाफ बी अपने मुख्यालय पर अधिक समय दे पाएगा.इसके अलावा विभिन्न योजनाओं को लेकर होने वाली समीक्षात्मक बैठक या योजनाओं संबंधी जानकारी के लिए मुख्यालय पर अधिकारियों को बुलाया जाने की अनिवार्यता से बी राहत मिल सकेगी. जिले के कई इलाके काफी दूरदराज होने के साथ ही दुर्गम भी है. ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र के अधिकारियों का पूरा दिन बैठक की बैठकर जाता है.
वहीं कई बार सीएमएचओ को भी ग्रामीण क्षेत्र के दौरे पर जाना पड़ता है. जिससे मुख्यालय पर होने वाले काम अटक जाते हैं. अब सीएमएचओ मुख्यालय से ही ब्लॉक स्तरीय अधिकारियों से बातचीत कर सकेंगे. सरकार के नए दिशा निर्देशों के बारे में अवगत करा सकेंगे.सीएमएचओ से लेकर बीसीएमएचओ को अनावश्यक भागदौड़ से राहत मिलेगी.
वहीं ta-da पर खर्च होने वाले लाखों रुपए की बचत हो सकेगी. मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर एच एल ताबीयार के अनुसार हमने सारे बीसीएमएचओ को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सेटअप से जोड़ दिया है. इससे योजनाओं को लेकर अधिकारियों को जिला मुख्यालय पर बुलाने की जरूरत नहीं रहेगी और मुख्यालय से ही उन्हें डायरेक्शन दिए जा सकेंगे. अनावश्यक भागदौड़ से भी राहत मिलेगी और अधिकारी अपने हेड क्वार्टर को ज्यादा वक्त दे सकेंगे.