बांसवाड़ा.नियम कायदों के खिलाफ किए गए काम का पिटारा कभी भी खुल सकता है. पूर्व मंत्री भवानी जोशी के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की ओर से दर्ज एक मामला इसका जीता जागता उदाहरण है. निर्माण स्वीकृति के मुकाबले होटल की ऊंचाई बढ़ाने के मामले में राजकोष को करीब 7.25 लाख रुपए से अधिक का नुकसान होना सामने आया है. एसीबी की जांच में आखिरकार आरोप प्रमाणित पाए गए है. साथ ही पूर्व मंत्री जोशी के साथ-साथ नगर परिषद के तत्कालीन सभापति राजेश टेलर और आयुक्त दिलीप गुप्ता के खिलाफ परिवाद दर्ज करते हुए अनुसंधान प्रारंभ कर दिया गया है.
ACB के शिकंजे में पूर्व मंत्री भवानी जोशी यह मामला भाजपा के पूर्व मंत्री जोशी से जुड़ा है. जैसे ही मुख्यालय द्वारा परिवाद दर्ज करने की सूचना पहुंची, तो इस मामले में भाजपा के साथ-साथ कांग्रेस के नेताओं में भी खलबली मच गई, क्योंकि एसीबी द्वारा दर्ज किए गए मामले में जनजाति मंत्री अर्जुन सिंह बामनिया के निकट माने जाने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजेश टेलर भी आरोपी बनाए गए हैं. टेलर उस समय नगर परिषद की कमान संभाले हुए थे. शहर के प्रमुख उद्योगपति गोपी राम अग्रवाल द्वारा एंटी करप्शन में इस आशय का परिवाद पेश किया था.
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12 मीटर तक की ऊंचाई की शर्त पर अनुमति
दर्ज परिवाद के अनुसार पूर्व मंत्री जोशी द्वारा वर्ष 2009 में कस्टम चौराहा स्थित अपनी होटल को गिरा कर ग्राउंड फ्लोर निर्माण की अनुमति मांगी गई थी. इसकी स्वीकृति के बाद जोशी द्वारा फिर से प्रथम द्वितीय और तृतीय तल के साथ चौथे माले के लिए अनुमति मांगी गई और तत्कालीन परिषद ने 12 मीटर तक ऊंचाई रखने के साथ तृतीय तल को भी स्वीकृति प्रदान कर दी थी और इसके बदले 60,653 रुपए का शुल्क वसूला था.
निकाय के आदेश से पहले दे दी अनुमति
एसीबी के अनुसार वर्ष 2013 में जोशी ने दो मंजिला और निर्माण के साथ 18 मीटर ऊंचाई रखने की नगर परिषद से स्वीकृति मांगी. सर्वेयर की रिपोर्ट के बाद तत्कालीन सभापति टेलर ने स्वीकृति के बाद अधिक निर्माण के नियमन की स्वीकृति के लिए स्थानीय निकाय विभाग को पत्र भेजा. एसीबी के पुलिस उपाधीक्षक माधव सिंह सोढा के अनुसार निदेशालय ने परीक्षण के बाद प्रकरण को एंपावर्ड कमेटी के सामने रखने को कहा, लेकिन स्वीकृति से पहले ही तत्कालीन आयुक्त दिलीप गुप्ता ने कंपाउंडिंग राशि निकालकर वसूली का आदेश दे दिया और टेलर के साथ मिलकर विभाग की स्वीकृति से पहले पूर्व मंत्री से अंडरटेकिंग लेकर 86,238 रुपए की वसूली के साथ स्वीकृति जारी कर दी गई, जिसमें पार्किंग और जमीन का शुल्क तक शामिल नहीं था.
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यहां तक कि जमीन का व्यावसायिक परिवर्तन करते समय व्यवसाई शुल्क नहीं वसूला गया, जोकि 7,32,000 रुपए बनता है. सोढा ने बताया कि पूर्व मंत्री जोशी, तत्कालीन सभापति टेलर और आयुक्त दिलीप गुप्ता के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर अनुसंधान में किया जा रहा है. गौरतलब है कि मंत्री जोशी वर्ष 2000 के प्रारंभ में तत्कालीन वसुंधरा सरकार में बतौर चिकित्सा राज्यमंत्री थे. वहीं दिलीप गुप्ता रिटायर होने के बाद बतौर सलाहकार नगर परिषद में सेवाएं दे रहे थे.