बांसवाड़ा. ऊंची-ऊंची पहाड़ियों से घिरे मानगढ़ धाम की प्राकृतिक छटा देखते ही बनती है. ऐसे स्थान पर विश्वविद्यालय के बच्चे जब पहुंचे तो प्राकृतिक सुंदरता देखकर आश्चर्यचकित रह गए क्योंकि अधिकांश विद्यार्थी गोविंद गुरु कि इस तपोस्थली पर कभी पहुंची नहीं पाए और केवल किताबों में ही उनके बारे में पढ़ रहे थे. गोविंद गुरु के भक्त उनके जीवन दर्शन पर आधारित भजन गाते नाचते पहुंचे जिनका अतिथियों द्वारा स्वागत किया गया. स्थानीय भाषा में भक्तों द्वारा भजनों के जरिए न केवल गोविंद गुरु के जीवन दर्शन से बच्चों को अवगत कराया बल्कि मावजी महाराज की गौरव गाथा से भी रूबरू कराया.
बांसवाड़ा: मानगढ़ धाम में कॉलेज छात्र-छात्राओं के लिए संस्कृति महोत्सव का आयोजन...गोविंद गुरु के जीवन दर्शन से हुए अवगत - rajasthan news in hindi
बांसवाड़ा. जिला मुख्यालय से करीब 75 किलोमीटर दूर गुजरात बॉर्डर स्थित मानगढ़ धाम पर कॉलेज के छात्र छात्राओं के लिए अनूठा कार्यक्रम आयोजित किया गया. गोविंद गुरु जनजाति विश्वविद्यालय द्वारा संबद्ध कॉलेजों के छात्र छात्राओं को गोविंद गुरु के जीवन दर्शन से अवगत कराने के लिए मानगढ़ धाम पर जनजातीय लोक संस्कृति महोत्सव रखा गया, जिसमें करीब ढाई हजार बच्चों ने भाग लेकर लोक संस्कृति की झलक भी पाई.
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बांसवाड़ा के अलावा प्रतापगढ़ और डूंगरपुर जिले के 122 महाविद्यालयों से पहुंचे लगभग ढाई हजार विद्यार्थियों ने इस कार्यक्रम को काफी सार्थक बताया. बच्चों ने स्मारक स्थल पर पहुंचकर गोविंद गुरु की इतिहास को जाना वहीं धूणी के महत्व को भी समझा. सौरभ भावसार ने कहा कि गोविंद गुरु के अंग्रेजों से संघर्ष की दास्तां किताबों में ही पड़ी थी लेकिन यहां पहुंचकर हकीकत से भी रूबरू हो गए. गोविंद गुरु की स्मृति में स्मृति वन में अतिथियों द्वारा पौधारोपण किया गया. कार्यक्रम के संयोजक डॉ. अशोक काकोरिया ने बताया कि महोत्सव अपने उद्देश्य में काफी सफल रहा. तीनों ही जिलों से करीब ढाई हजार बच्चे कार्यक्रम में शामिल हुए.