राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / state

महाराष्ट्र से भटक कर बांसवाड़ा पहुंच गई बबीता, सोशल मीडिया से मिला परिवार तो छलक उठी आंखें - banswara police

देश में आई संचार क्रांति ने कई कामों को आसान बना दिया है. जिनमें किसी की तलाश करना या किसी तक संदेश पहुंचाना भी शामिल है. ऐसा ही एक बार फिर महाराष्ट्र की बबीता की कहानी ने साबित कर दिया है. जो अपने परिवार से भटक कर करीब 800 किलोमीटर दूर औरंगाबाद से बांसवाड़ा पहुंच गई. समाजसेवी हरीश कलाल ने अपने नवीन प्रतिष्ठान के बाहर उसे सोते देखा तो उसके परिवार के बारे में पूछ बैठे. उन्होंने सोशल मीडिया का सहारा लिया और एक वीडियो बनाकर औरंगाबाद में रहने वाले अपने मित्र को भेजकर वहां स्थानीय लोगों के जरिए वायरल करवा दिया. नतीजा 1 घंटे में ही मिल गया. परिवार के लोगों ने तत्काल उनसे संपर्क किया. परिवार के लोग जब बांसवाड़ा पहुंचे तो अपनों को पाकर बबीता की आंखें छलक उठी.

बांसवाड़ा समाचार, औरंगाबाद महाराष्ट्र समाचार, कैलाश नगर औरंगाबाद, बांसवाड़ा पुलिस, बांसवाड़ा लापता केन्द्र, banswara news, aurangabad maharashtra news, kailash nagar aurangabad, banswara police, banswara missing center

By

Published : Oct 4, 2019, 3:05 PM IST

बांसवाड़ा.देश में आई संचार क्रांति ने दुनिया को काफी छोटा कर दिया है. यह एक बार फिर महाराष्ट्र की बबीता की कहानी ने साबित कर दिया. जो अपने परिवार से भटक कर करीब 800 किलोमीटर दूर औरंगाबाद से बांसवाड़ा पहुंच गई.

बबीता के सकुशल मिलने से परिवार में लौट आई खुशियां

हालांकि, औरंगाबाद महाराष्ट्र से बांसवाड़ा कैसे पहुंची. दिमागी संतुलन ठीक नहीं होने के कारण बबीता ज्यादा बता नहीं पाई. लेकिन यह जरूर कहां कि वह किसी बस में अपने कैलाश नगर स्थित भाई के घर के लिए बैठी थी. जहां से वह कहीं दूसरी जगह पहुंच गई. उसके बाद क्या हुआ उसे पता नहीं. करीब 1 महीने से 50 वर्षीय बबीता उदयपुर रोड स्थित हेमू कलानी चौराहा पर समाजसेवी हरीश कलाल के ऑफिस के बाहर सो रही थी.

  • बबीता ने बयां की अपनी व्यथा

समाजसेवी कलाल ऑफिस के रिनोवेशन वर्क को देखने के लिए एक दिन सुबह ही पहुंच गए. जहां एक महिला को ऑफिस के बाहर सोए देखा तो उन्होंने नाम पता पूछा. उसने बबीता नाम बताते हुए अपना पता कैलाश नगर औरंगाबाद बताया. जब बबीता से औरंगाबाद जाने की बात पूछी तो उसकी आंखों में आंसू छलक पड़े. कलाल ने तुरंत एक वीडियो बनाया और 2 अक्टूबर को औरंगाबाद में रहने वाले अपने मित्र कांतिलाल त्रिवेदी को भेजते हुए स्थानीय व्हाट्सएप ग्रुप पर भेजने का आग्रह किया.

  • 1 घंटे में मिल गया परिणाम

सोशल मीडिया का सकारात्मक पहलू 1 घंटे बाद ही कलाल तक पहुंच गया. जब 2 अक्टूबर को बबीता के भतीजे प्रवीण गायकवाड़ ने फोन पर संपर्क किया, और बांसवाड़ा किस प्रकार पहुंचा जा सकता है. इस बारे में पूछताछ की.

  • परिवार में लौटी खुशियां

प्रवीण के अनुसार उनकी ताई अर्थात बुआ-फूफा से परेशान होकर करीब 26 से 27 साल पहले उनके घर आ गई और उनके पास ही रह रही थी. 10 मई को परिवार में शादी का माहौल था. उसी दौरान अचानक बुआ बबीता वहां से लापता हो गई. उसके बाद से ही बुआ की तलाश की जा रही थी. 2 अक्टूबर को उनके एक मित्र ने वीडियो बताया तो परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं रहा और परिवार के लोग बबीता को देखने के लिए मचल उठे. बबीता की पुत्री सविता का तब से ही रो-रो कर बुरा हाल था. काफी संभालने के बाद भी जब कोई सुराग नहीं मिला तो परिवार के लोग भी उनके फिर से मिलने की आशा छोड़ चुके थे. लेकिन जब गणेश काकडे ने जब अपनी पत्नी सविता को इस बारे में जानकारी दी तो उसको विश्वास ही नहीं हुआ.

यह भी पढ़ें- बांसवाड़ा के घाटोल में सरकारी विद्यालय बना 'तालाब'

  • फरिश्ता बनकर आए

भतीजा प्रवीण और दामाद गणेश काकडे करीब 800 किलोमीटर दूर बांसवाड़ा पहुंचे जहां कलाल ने उनकी आवभगत के साथ उन्हें बबीता से मिलवाया तो खुशी के मारे उनकी आंखें भी छलक पड़ी. दोनों ही बहुत खुश थे. और उनको अपनी बुआ से मिलवाने के लिए कलाल का धन्यवाद ज्ञापित कर रहे थे. गणेश ने कहां कि भगवान ने हरीश भाई को हमारे लिए फरिश्ता बनाकर भेजा उसी का नतीजा है, कि आज मैं अपनी सास से मिल पाया. बबीता भी परिवार को पाकर बहुत खुश नजर आई.

यह भी पढ़ें- बांसवाड़ाः प्रधानाचार्य के तबादले से विद्यार्थियों में आक्रोश, मुख्य मार्ग पर लगाया जाम

  • माला पहनाकर किया विदा

कलाल समाज के जिला अध्यक्ष हरीश भाई ने तीनों को खाना खिलाया और बबीता को माला पहनाई तथा श्रीफल भेंट कर उन्हें औरंगाबाद के लिए रवाना किया. कलाल ने बताया कि एक वृद्ध महिला को अपने परिवार से मिलाकर उन्हें वाकई बहुत खुशी हुई. ईश्वर का धन्यवाद की उन्हें इस परिवार को मिलाने का जरिया बनाया. सोशल मीडिया का नतीजा है कि 1 घंटे में बबीता को अपना परिवार मिल गया.

ABOUT THE AUTHOR

...view details