बांसवाड़ा. जिले में चिकित्सा विभाग के वाहन जर्जर होकर कबाड़ बन चुके हैं. इस पर विभाग की लापरवाही के चलते कबाड़ की कीमत और भी घटने के आसार हैं. पहले सर्वे रिपोर्ट के अभाव में लाखों के इस कबाड़ की नीलामी रुक गई थी. येन-केन प्रकारेण प्रोसेस में आया तो कोरोना का संकट आ खड़ा हुआ. नतीजतन कबाड़ की नीलामी आगे से आगे खिसकती जा रही है. अब मैकेनिकल इंजीनियर की रिपोर्ट के बाद ही इस कबाड़ की नीलामी होने के आसार हैं.
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय के बाहर एंबुलेंस से लेकर जीप-वैन जैसे दर्जनों वाहन कबाड़ में तब्दील हो चुके हैं. हालत यह है कि कार्यालय के बाहर इन वाहनों के चलते विभागीय कर्मचारियों के समक्ष अपने वाहनों की पार्किंग की समस्या उत्पन्न हो गई है. हर साल कबाड़ होने वाले वाहनों की संख्या बढ़ती जा रही है.
आज की स्थिति में कि यहां पर विभिन्न प्रकार के 2 दर्जन से अधिक कबाड़ में तब्दील हो चुके वाहन यत्र तत्र खड़े हैं. मजेदार बात यह है कि, राज्य सरकार द्वारा सीएमएचओ के नीलाम करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई, लेकिन अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं. जानकारों का कहना है कि वाहन जितना पुराना होता है, उसके कबाड़ की कीमत भी उसी के अनुरूप कम होती जाती है.