अलवर. जिले में एक तरफ चुनाव की हलचल है तो दूसरी तरफ शादियों का शोर सुनाई दे रहा है. चुनाव के लिए कोई गाइडलाइन नहीं है, खुले आम लोग चुनाव प्रचार कर रहे हैं और चुनाव में घूम रहे हैं. जबकि शादियों से पहले सरकार की गाइडलाइन ने आम लोगों को परेशान कर दिया है.
शादी से पहले भगवान के साथ प्रशासन को पहुंचा रहे शादी का कार्ड लाखों रुपए खर्च करने के बाद लोग अपने आप को असहाय महसूस कर रहे हैं. कोरोना के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए सरकार की तरफ से शादी की अनुमति लेना अनिवार्य हो गई है. ऐसे में लोग अपने दस्तावेज व कार्ड लेकर शादी की अनुमति लेने पहुंच रहे हैं.
शादी के समय अनुमति की जद्दोजहद में लोगों को खासी परेशानी उठानी पड़ रही है. जिसमें शादी का कामकाज छोड़कर सरकारी कार्यालय में चक्कर लगाने पड़ रहे हैं व घंटों लाइन में लगना पड़ रहा है. हिंदू रीति रिवाज के अनुसार शादी में सबसे पहला निमंत्रण भगवान गणेश जी को दिया जाता है लेकिन इस समय कोरोना के प्रभाव के बीच भगवान के साथ प्रशासन को भी निमंत्रण सबसे पहले पहुंचाया जा रहा है.
इसी के तहत अलवर जिले में अब तक 1900 से अधिक लोग शादी के लिए प्रशासन से अनुमति ले चुके हैं. जबकि 25 तारीख के लिए 1 हजार से अधिक आवेदन आए हैं. लोगों ने कहा कि सरकार ने अचानक सख्ती बढ़ाई है. इससे आम लोगों की परेशानी बढ़ी है. लाखों रुपए खर्च होने के बाद लोग शादी का आनंद नहीं ले पा रहे हैं. इसके साथ ही रिश्तेदार व दोस्तों को शादी में आने से मना करना पड़ रहा है.
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इसके अलावा भी कई तरह की दिक्कतें सामने आ रही हैं. जबकि कुछ लोगों की माने तो कोरोना का प्रभाव बढ़ रहा है. ऐसे में सरकार की गाइडलाइन उनके लिए फायदेमंद साबित होगी. सरकार के नियमों के कारण लोगों के खर्चे बचेंगे व कम लोग शादी में आएंगे. दूसरी तरफ प्रशासन की मानें तो शादी की सूचना देना अनिवार्य है. शादी की सूचना नहीं देने पर 5 हजार रुपए तक का जुर्माना लगाया जाएगा.