अलवर. सरिस्का की शान और सबसे युवा बाघ एसटी-13 पिछले 20 दिन से लापता (Tiger ST-13 missing) है. पर्यटकों को सबसे ज्यादा नजर आने वाले इस बाघ की तलाश में तीन जिलों की वह विभाग की 30 टीमें (Forest department team searching tiger ST 13) जुटी हैं. लेकिन हाथ अभी खाली हैं. सरिस्का के पिछले अतीत को याद करते हुए हर वन्यजीव प्रेमी के मन में भय और आशंका इस बाघ को लेकर बनी हुई है. सरिस्का से बाघों और बाघिन के गायब होने का यह पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी बाघ गायब हुए हैं और जिन्हें बाद में मृत घोषित कर दिया गया.
एसटी -13 की तलाश में जुटी टीमें दिन-रात हर उस स्थान को छान रही हैं, जहां इस बाघ के मिलने की संभावना है. बाघ के लापता होने के कारण वन्य जीव विभाग के अधिकारियों की चिंताएं भी बढ़ी हुई है. ठीक इसी तरह से बाघिन st-5 भी गायब हुई थी. उसका भी महीनों तक कोई सुराग नहीं मिला था. बाद में उसे मृत घोषित कर दिया गया.
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2005 में बाघ विहीन हो चुका था सरिस्का
साल 2005 में सरिस्का बाघ विहीन हो गया था. उसके बाद फिर से यहां रणथंभौर से लाकर बाघों का कुनबा बसाया गया. उसके बाद से अब तक दो बाघ व एक बाघिन के शिकार का मामला (two tiger and one tigress died after 2005) सामने आ चुका है. बाघ एसटी-1 को जहर देकर मारा गया. बाघ एसटी-11 की खेत में लगे फंदे में फसने से मौत हुई. जबकि बाघिन एसटी 5 का शिकार हुआ था. वो कई महीनों तक गायब रही. बाद में उसे मृत मान लिया गया. इसके अलावा बाघ एसटी-4 का एसटी-6 से संघर्ष हुआ. जिसमें एसटी4 घायल हुआ व उसकी मौत हो गई. इसके अलावा बाघ एसटी 16 की हिट स्ट्रोक से मौत हुई. अब बाघ st13 बीते 20 दिनों से गायब है.
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लगातर मिल रहे पैंथर के शव
अलवर में आए दिन पैंथर के शव मिल रहे हैं. बीते 10 दिनों के दौरान दो मेल पैंथर व दो पैंथर के शावकों के शव मिल चुके हैं. इसमें एक पेंथर व दो शावकों की मौत जहर देने से हुई. जबकि एक पैंथर की मौत दूसरे पैंथर से संघर्ष के दौरान बताई जा रही है. लेकिन पैंथर की मौत के बाद से सरिस्का पर एक बार फिर से शिकारियों का खतरा मंडराने लगा है.
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स्टॉफ व संसाधनों की है कमी
सरिस्का में वन्यजीवों की मॉनिटरिंग के लिए पर्याप्त स्टाफ व संसाधन नहीं है. जिसके चलते भी बाघों की मॉनिटरिंग बेहतर नहीं हो पाती है. हालांकि वन विभाग के अधिकारियों की मानें तो एक बाघ की मॉनिटरिंग के लिए तीन टीमें लगी हुई हैं. जो 24 घंटे उसकी मॉनिटरिंग करती है. एक बाघ मॉनिटरिंग में लाखों रुपए खर्च होते हैं. उसके बाद भी बाघों के शिकार हो रहे हैं व उनकी जान जा रही है. सरिस्का में एसीएफ व वन कर्मियों के पद खाली हैं. इसके अलावा फॉरेस्ट गार्ड व वन पालक सहित अन्य पद भी खाली हैं. सरिस्का के जंगल क्षेत्र में जरूरत के हिसाब से कैमरे नहीं हैं. संसाधनों की कमी के चलते बाघों की बेहतर मॉनिटरिंग नहीं हो पाती है. आए दिन बाघ सड़क व आबादी क्षेत्र में पहुंच जाता है.
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रेडियो कॉलर होता तो मिल जाती लोकेशन
बाघ एसटी13 के रेडियो कॉलर लगा हुआ है. लेकिन वो लंबे समय से खराब है. अगर रेडियो कॉलर सही होता तो शायद बाघ की लोकेशन का आसानी से पता चल जाता. वन विभाग के अधिकारियों को यह भी नहीं पता कि बाघ किस दिशा में गया है. वन विभाग की टीमें सभी दिशा में बाघ की तलाश कर रही हैं. सरिस्का में 5 बाघ व बाघिन के रेडियो कॉलर लगे हुए हैं. लेकिन सभी के खराब हैं.
कहीं इसके पीछे कोई साजिश तो नहीं...
सरिस्का में बीते कुछ समय से लगातार बाघों का प्रभाव बढ़ रहा था. यहां पर्यटकों की संख्या में भी तेजी से इजाफा हो रहा था. देसी विदेशी पर्यटकों के साथ फिल्मी सितारे, क्रिकेटर अन्य पर्यटक भी घूमने के लिए लगातार सरिस्का आ रहे हैं. सरिस्का कि फिर से लोकप्रियता बढ़ रही है. ऐसे में कहीं सरिस्का को बदनाम करने की साजिश तो नहीं है. इसकी चर्चा भी लगातर बनी हुई है.
बाघों को रेडियोकॉलर लगाने पर हुआ मंथनःसरिस्का में बाघों पर हमेशा ही खतरा मंडराता है. ऐसे में बाघों के रेडियोकॉलर लगाने के लिए मंथन किया गया. इसमें बाघों के सरिस्का में पुनर्वास प्रक्रिया के बाद राजस्थान के टाइगर रिजर्व की मध्यावधि समीक्षा की गई. सरिस्का सहित प्रदेश के अन्य टाइगर रिजर्व में बाघों की वर्तमान स्थिति, रेडियो कॉलर की उपयोगिता आदि पर विशेषज्ञों ने विचार रखे.
मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक राजस्थान अरिन्दम तोमर ने सरिस्का टाइगर रिजर्व के प्रबंधन को लेकर जानकारी दी. आगामी वर्षों में किए जाने वाले कार्य बताए, जिससे बाघ सुरक्षित रह सकें. इस अवसर पर डॉ. राजेश गोपाल एवं डॉ. पराग निगम तथा डा. कमर कुरैशी ने बाघ संरक्षण के लिए उठाए जाने वाले कदमों को लेकर सुझाव दिए. जनेटिक एनालाइसिस विषय पर जानकारी दी. डॉ. रवि सिंह एवं डॉ. बिलाल हबीब, डीएफओ सुदर्शन शर्मा ने बाघ संरक्षण पर प्रजेंटेंशन दिया.
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सरिस्का में बाघ पुनर्वास प्रक्रिया शुरू होने के समय पांच साल बाद बाघों की स्थिति को लेकर समीक्षा करने का निर्णय किया गया था. अब सरिस्का में बाघों का कुनबा बढ़कर 25 तक पहुंच गया है, ऐसे में बाघों की स्थिति को लेकर मध्यावधि समीक्षा की गई है. यदि नए टाइगर लाने हैं तो राजस्थान के टाइगर रिजर्व से लाने हैं या मध्यप्रदेश के टाइगर रिजर्व से लाने हैं, इस पर भी चर्चा हुई. इसी प्रकार बाघों को लगे रेडियो कॉलर पर चर्चा हुई, इसमें बाघों के रेडियो कॉलर हटाने या नहीं हटाने तथा बाघों को नए रेडियो कॉलर लगाने है या नहीं लगाने आदि विषयों पर भी सुझाव दिए गए.