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20 साल कारगिल : अलवर के तीन बेटों ने भी देश के लिए न्योछावर किए थे प्राण...आज भी उनके परिजन और गांव वाले फक्र से करते हैं याद

साल 1999 में देश मे पड़ोसी दुश्मनों के दुस्साहस को अपनी जान की बाजी लगा कर विफल करने वाले देश के वीर जाबांज सपूतों को उनकी कुर्बानी के लिए लोग याद कर रहे हैं. उनके अदम्य साहस और शौर्य के बल पर चोटी पर काबिज आतंवादियों और पाकिस्तानी फौज के लड़ाकों से लोहा लेते हुए भारत को कारगिल पर आज के ही दिन विजय दिलाने वाले वीर योद्धाओं को पूरा देश नमन कर रहा है.

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Published : Jul 26, 2019, 12:42 PM IST

अलवर के तीन बेटों ने भी देश के लिए न्योछावर किए थे प्राण

बहरोड़(अलवर). आज कारगिल दिवस है. कारगिल का युद्ध हुए 20 साल हो गए हैं. शहीदों की याद में आज कारगिल दिवस मनाया जा रहा है. अलवर जिले से कारगिल युद्ध के दौरान तीन जवान देश की रक्षा करते अपने देश के लिए मर मिटे थे. जिसमें बहरोड़ के बसई भोपाल के सतवीर सिंह, नीमराणा के रोड़वाल से वीरेंद्र यादव शहीद हुए थे.

बहरोड के बसई भोपाल के लांस शहीद हवलदार सतवीर सिंह ऑपरेशन विजय 1999 कारगिल के दौरान डेल्टा कंपनी 11 प्लाटून नंबर 6 सेक्शन कमांडर की ड्यूटी पर तैनात थे. 28 जून 1999 की रात को उनकी सेक्शन थ्री पिम्पल तथा ब्लेक रॉक काम्प्लेक्स पर दुश्मनों के एक मोर्चे पर कब्जा करने का टास्क मिला. वह अपने मिशन पर आगे बढ़ते हुए दुश्मनों के बहुत नजदीक पहुंच गए थे. दुश्मन ने उनकी टुकड़ी को अपनी और बढ़ता देख स्वचालित हथियारों से भारी मात्रा में फायर करना शुरु कर दिया. दुश्मन के निरंतर एवं सटीक फायरिंग से सतवीर सिंह बुरी तरह घायल हो गए थे. घायल होने के बाद भी वे अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए निरंतर आगे बढ़ते रहे और अंत में उन्होंने ने अपने साथियों के साथ थ्री पिम्पल तथा ब्लैक रॉक कॉम्प्लेक्स पर कब्जा करने के लिए अपना बलिदान दे दिया.

अलवर के तीन बेटों ने भी देश के लिए न्योछावर किए थे प्राण

शहीद सतवीर सिंह के शहीद होने की सूचना पर गांव में शोक में छा गया था. शहीद सतवीर सिंह अपने पीछे अपने पत्नी कृपा देवी चार बच्चों को छोड़ गए. जिनमें दो बेटे और दो बेटियां हैं. शहीद सतवीर सिंह का आर्मी में 1979 में भर्ती हुआ था.

परिजनों का कहना है शहीद सतवीर के शहीद होने के बाद परिवार को काफी संघर्ष करना पड़ा और अब बेटे बड़े हो गए और शहीद कोटे से उन्हें एक गैस एजेंसी भी मिल गई जिससे पूरा परिवार जीवन यापन कर रहा है. शहीद के दोनों बेटे जगदीश और नाहर सिंह आज भी उस दिन को याद कर भावुक हो जाते है जब उनके पिता शहीद हुए थे.

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