नई दिल्ली.सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान में सरिस्का बाघ अभयारण्य के ‘कोर’ (आंतरिक) क्षेत्र में स्थित प्राचीन पांडुपोल मंदिर की लाखों श्रद्धालुओं की ओर से यात्रा करने पर चिंता जताई. कोर्ट ने संरक्षित क्षेत्र के प्रभावी प्रबंधन के लिए एक टिकाऊ समाधान सुझाने के लिए बुधवार को एक उच्च-स्तरीय समिति गठित की है. न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने कहा कि हर साल लाखों की संख्या में लोग इस मंदिर की यात्रा करते हैं. ऐसे में एक समाधान तलाशने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति गठित करने की जरूरत है.
छह हफ्तों में अपनी सौंपेगीरिपोर्ट : पीठ ने अतिरिक्त वन सचिव (वन प्रशासन), राजस्थान के प्रधान वन संरक्षक एवं मुख्य वन्यजीव वार्डन, केंद्रीय पर्यावरण एवं वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के संयुक्त सचिव रैंक के एक अधिकारी, और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के प्रतिनिधि की सदस्यता वाली एक समिति गठित की. शीर्ष न्यायालय ने कहा कि मुख्य वन्यजीव वार्डन समिति के संयोजक के रूप में काम करेंगे, जो न्यायालय को छह हफ्तों में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी.