अलवर. प्रकृति को बचाने के लिए प्रदेश में अब छोटे-छोटे क्लस्टर एरिया में चारदीवारी करके जंगल को बचाया जाएगा. साथ ही दुर्लभ जातियों के पौधे-पेड़ भी लगाए जाएंगे. इसके लिए पर्यावरण विभाग की तरफ से विशेष तैयारी शुरू की गई है. पर्यावरण की नई नीति और योजना शुरुआत अलवर से होगी. दरसअल, अलवर एनसीआर का हिस्सा है. ऐसे में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए एनसीआरसी से इसको शुरू करने का फैसला लिया गया है.
अलवर जिला एनसीआर का हिस्सा है. इसलिए केंद्र सरकार, एनजीटी व प्रदेश सरकार की नजर रहती है. एनसीआर क्षेत्र में तेजी से बढ़ते प्रदूषण और समाप्त हो रहे जंगल को बचाने के लिए राजस्थान में पहली बार पर्यावरण नीति बनाई गई है. अलवर में 886 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला सरिस्का नेशनल पार्क है. इसके अलावा बाला किला बफर जोन सहित बड़ी संख्या में जंगल क्षेत्र है. जंगल में हजारों तरह के पेड़ पौधों की प्रजातियों लगी हुई हैं लेकिन समय के साथ पेड़ काटे जा रहे हैं. प्रकृति को नुकसान पहुंच रहा है. ऐसे में पेड़ पौधों की प्रजातियां विलुप्त हो रही हैं.
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पेड़-पौधों और जंगल को बचाने के लिए पर्यावरण विभाग की तरफ से विशेष योजना तैयार की गई है. इसके तहत बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियों के साथ एमओयू साइन हुआ है. इसके तहत छोटे-छोटे क्लस्टर और पार्क क्षेत्रों में चारदीवारी करके जंगल को बचाया जाएगा. इस योजना की शुरुआत अलवर के सरिस्का से होगी. इसके तहत सरिस्का में 200 किलोमीटर लंबी चारदीवारी की जाएगी.