शिक्षक की विदाई पर रोते बच्चे अलवर.वेदों में शिक्षक का दर्जा माता-पिता से भी ऊपर है. शिक्षक बच्चों के भविष्य को संवारने में अहम भूमिका निभाते हैं. यही वजह है कि शिक्षक और विद्यार्थियों के बीच एक अनूठा रिश्ता बन जाता है. सोमवार को अलवर के मुंडावर क्षेत्र में कुछ ऐसा ही देखने को मिला. क्षेत्र के विद्यालय प्रधानाचार्य की विदाई में स्कूल के बच्चे फूट-फूटकर रोए. विदाई कार्यक्रम में शिक्षक को घोड़ी पर बैठा कर गाजे-बाजे के साथ शिक्षक की विदाई की गई. स्कूल के स्टूडेंट्स और स्टाफ का यह वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है.
अलवर के मुंडावर के सीनियर सेकेंडरी स्कूल में दिनेश कुमार यादव हेड मास्टर के पद पर कार्यरत थे. 28 दिसंबर को दिनेश कुमार का ट्रांसफर अलवर के ही बहरोड स्थित खोर बसई के स्कूल में हो गया. 21 जनवरी को दिनेश यादव स्कूल से रिलीव हुए. इस दौरान स्कूल के स्टूडेंट व स्टाफ की तरफ से एक विदाई कार्यक्रम आयोजित किया गया. इसमें दिनेश यादव को घोड़ी पर बैठा कर गाजे-बाजे के साथ 3 किलोमीटर तक स्कूल के स्टूडेंट स्टाफ व सैकड़ों ग्रामीण पैदल चले.
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शिक्षक के विदाई कार्यक्रम के दौरान सभी की आंखों से आंसू छलकते दिखाई दिए. ग्रामीण, स्कूल का स्टाफ और बच्चे बिलखते हुए एक दूसरे से लिपटकर रोते नजर आए. ग्रामीणों ने इसका वीडियो बनाया और सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया. शिक्षक की विदाई का यह वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है.
प्रधानाध्यापक दिनेश कुमार ने कहा कि उनके कार्यकाल के दौरान स्कूल में डेढ़ करोड़ रुपए से ज्यादा की लागत के विकास कार्य भामाशाह व ग्रामीणों की तरफ से करवाए गए. किसी भी भामाशाह व ग्रामीण ने उनको किसी कार्य के लिए मना नहीं किया और पूरा समर्थन किया. स्कूल पहले जर्जर हालत में था. इसमें नए कमरे बनने और रंगरोगन सहित कई काम हुए. कोरोना कॉल में भी बच्चों को घर-घर जाकर शिक्षकों ने पढ़ाया व ऑनलाइन क्लासेज ली. इसके साथ ही बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के प्रयास किए गए. उन्होंने कहा कि स्कूल के स्टाफ की तरफ से बच्चों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियां भी कराई गई. सभी ने मिलकर काम किया इससे ग्रामीणों और बच्चों का उनसे जुड़ाव ज्यादा हो गया.
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उन्होंने कहा कि ट्रांसफर पोस्टिंग सरकारी नौकरी में एक सतत प्रक्रिया है. इससे पहले भी कई बार उनके ट्रांसफर हुए, लेकिन जीवन में यह पहला मौका था जब ग्रामीण, बच्चे व स्कूल का स्टाफ सभी भावुक नजर आए. उनका यह प्रेम भाव देखकर वे भी अपने आंसू नहीं रोक पाए. उन्होंने कहा कि स्कूल में उन्होंने परिवार की तरह काम किया.स्कूल के अन्य शिक्षकों ने भी उनको पूरा सपोर्ट किया. उन्होंने आज तक किसी भी बच्चे पर हाथ नहीं उठाया. बच्चों की समस्या सुनी और कई बार विपरीत परिस्थितियों में भी काम किया. दिनेश यादव ने कहा कि उन्होंने खुद अपने हाथों से स्कूल में कई काम किए. बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए अलग से इंग्लिश, जीके सहित कई विषयों की एक्सट्रा क्लासेज ली.