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अलवर के इन तीन अस्पतालों की मोर्चरी में 2 साल से फ्री सेवाएं दे रहा रिटायर्ड स्वीपर कर्मी - neemrana news

अलवर में तीन अस्पतालों की हालत बड़ी ही दयनीय हो गई है. यहां पर बने मोर्चरी में रिटायर्ड स्वीपर कर्मी विगत दो सालों से फ्री सेवाएं दे रहा है. लेकिन बावजूद इसके प्रशासन की ओर से अभी तक कोई स्थायी नियुक्ति नहीं की गई है.

2 साल से फ्री सेवाएं दे रहा रिटायर्ड स्वीपर कर्मी

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Published : Jun 22, 2019, 6:10 PM IST

बहरोड़ (अलवर). दिल्ली-जयपुर नेशनल हाइवे पर स्थित बहरोड़, नीमराणा और शाहजहांपुर के सरकारी अस्पताल अधिकारियों की लापरवाही सामने आई है. यहां पर बने पोस्टमॉर्टम रूम 'मुफ्त की सेवा' के भरोसे चल रही है. अस्पताल में स्वीपर की पोस्ट ढाई साल से रिक्त पड़ी हुई है. रिटायरमेंट के बाद भी पहले से तैनात स्वीपरकर्मी नि:शुल्क सेवाएं देकर पोस्टमॉर्टम करवा रहा है. अन्यथा इन अस्पतालों में मृतकों को पोस्टमॉर्टम भी नसीब न हो पाती.

अलवर के इन तीन अस्पतालों में 2 साल से फ्री सेवाएं दे रहा रिटायर्ड स्वीपर कर्मी

पिछले दो साल से तीनों अस्पतालों में पोस्टमॉर्टम के स्वीपर का पद खाली है. जबकि हाइवे के साथ-साथ बहरोड़, नीमराणा और शाहजहांपुर के ग्रामीण इलाकों में किसी की मौत हो जाए तो उसके पोस्टमार्टम के लिये अलवर या फिर कहीं और से स्वीपर बुलाना पड़ता है. बहरोड़ में एक ही स्वीपर था, जो साल 2017 में रिटायर हो गया था. रिटारमेंट के बाद भी वह अभी तक निःशुल्क सेवाएं दे रहा है.

बता दें कि रिटायर्ड स्वीपर का नाम सतबीर सिंह है, जो बहरोड़ का रहने वाला है. रिटारमेंट के बाद जब वहां विभाग द्वारा कोई भी स्वीपर नहीं लगाया गया तो डॉक्टर्स ने अपनी जिम्मेदारी पर उसको काम करने के लिए रख लिया. साथ ही चिकित्सा विभाग के उच्च अधिकारियों से कहकर, जो तनख्वाह किसी और को दी जाएगी वो उसको दिलवा देंगे. लेकिन दो साल बीत जाने के बाद भी आज तक एक रुपया भी सतबीर को नहीं दिया गया.

ऐसे में जब बहरोड़ स्थित राजकीय अस्पताल के डाक्टर आदर्श अग्रवाल से बात किया गया तो उन्होंने बताया कि पोस्टमॉर्टम करने के लिए स्वीपर का पद दो साल से रिक्त है, जिसके बारे में उन्होंने कई बार उच्च अधिकारियों को लिखित में दे दिया है. लेकिन अभी तक स्वीपर का पद भरा नहीं भरा गया. दो साल पहले सतबीर सिंह के रिटारमेंट के बाद पोस्टमॉर्टम करने के लिए स्वीपर की जरुरत पड़ी. लेकिन बहरोड़ और नीमराणा में कोई भी स्वीपर नहीं होने के कारण उन्होंने अपनी जिम्मेदारी पर एमरजेंसी के लिए सतबीर को बुला लिया. जो पिछले दो साल से नि:शुल्क सेवा दे रहा है. वे चिकित्सा विभाग के अधिकारियों को भी अवगत करा दिए हैं. लेकिन आज तक समाधान नहीं हो पाया है .

वहीं स्वीपर सतबीर सिंह ने बताया कि उसका रिटारमेंट साल 2017 में हो गया था. लेकिन उसके जाने के बाद पोस्टमॉर्टम के लिए स्वीपर की जरूरत पड़ने लगी. ऐसे में बहरोड़ अस्पताल के डॉक्टर्स के कहने पर वह अस्पताल में निःशुल्क अपनी सेवा दे रहा है. जबकि डॉक्टर्स ने कहा था कि जो तनख्वाह सरकार देगी वो उसको दे देंगे. लेकिन आज तक उसे एक भी रुपया नहीं मिला है. यही नहीं जब बहरोड़, नीमराणा, शाहजहांपुर के अस्पतालों में कोई पोस्टमार्टम करना होता है तो वहां सतबीर को ही जाना पड़ता है.

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