अलवर.सरिस्का में घटती बाघों की संख्या चिंताजनक है. वहीं रणथम्भौर में स्तिथि इसके उलट है. यहां बाघों की संख्या में इजाफा हो रहा है.वहीं विशेषज्ञों की मानें तो बाघों के लिए सरिस्का अन्य नेशनल पार्क से ज्यादा सुरक्षित हैं.
रणथंभौर बाघों का सुरक्षित आशियाना दरअसल, सरिस्का में लगातार बाघों की संख्या कम हो रही है. 2018 में सरिस्का में तीन बाघों की मौत हुई. वहीं वर्ष 2019 की शुरुआत में एक बाघ कम हुआ था. पिछले कुछ माह के दौरान सरिस्का में चार बाघ की मौत हो चुकी है. वहीं रणथंभौर पार्क में लगातार बाघों की संख्या बढ़ रही है, जबकि क्षेत्रफल की दृष्टि से देखें तो सरिस्का की तुलना में रणथम्भौर खासा छोटा नेशनल पार्क है. रणथम्भौर का क्षेत्रफल 392 वर्ग किलोमीटर है. जबकि सरिस्का 886 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है.
वन्य जीव विशेषज्ञों की मानें तो सरिस्का वन्यजीव अधिक सुरक्षित हैं. इसके बावजूद लगातार सरिस्का में बाघों की संख्या कम हो रही है. ऐसे में साफ है कि सरिस्का की छवि खराब करने का प्रयास किया जा रहा है. क्योंकि सरिस्का में दो माह पहले ही बाघ शिफ्ट किया गया, जबकि क्षेत्र के हिसाब से सरिस्का में बाघों की संख्या पर्याप्त थी. उनका कहना है कि सरिस्का में रणथंभौर से नया बाघ लाने की जरूरत नहीं थी. इसका कारण वर्तमान में बाघों की संख्या है. उसके बाद भी सरकार ने यहां एक बाघ लाने के लिए अनुमति दी.
सरिस्का में फिलहाल 11 बाघ व पांच शावक हैं. इनमें 2 बाघ की उम्र डेढ़ साल से ज्यादा है. ऐसे में सरिस्का में वर्तमान में बाघ का कुनबा करीब 15 पहुंच चुका है. सरिस्का में अभी तक गांव का विस्थापन नहीं हुआ है. ऐसे में ग्रामीणों की मौजूदगी के बाद भी बाघ का शिफ्ट करना पूरी तरीके से गलत है. वहीं लगातार सरिस्का में नजर आए नए शावकों की जान को भी खतरा बताया जा रहा है. ऐसे में देखना होगा कि केंद्र सरकार व राज्य सरकार इस दिशा में क्या कदम उठाती है.