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ईएसआईसी और सामान्य अस्पताल के मरीजों की अब हो सकेगी बेहतर जांच, अलवर में लगी मशीन

अलवर के राजीव गांधी सामान्य अस्पताल और ईएसआईसी अस्पताल में आने वाले मरीजों के लिए खुशखबरी है. इन अस्पतालों में अब किसी भी मरीज और उनके परिजनों को प्लेटलेट्स की कमी होने पर परेशान नहीं होना पड़ेगा. अस्पताल में हेमेटोलॉजी मशीन लगाई गई है. इस मशीन में सीबीसी की 37 तरह की जांचें हो सकती है.

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अलवर के एक अस्पताल में लगी हेमेटोलॉजी मशीन

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Published : Dec 14, 2019, 11:00 PM IST

अलवर.प्लेटलेट्स की कमी होने पर मरीज के परिजनों को अब परेशानी नहीं उठानी पड़ेगी मरीज के शरीर में प्लेटलेट बन रही है या नहीं, मरीज को कितनी प्लेटलेट की आवश्यकता है या प्लेटलेट्स कम होने का मुख्य कारण क्या है. मरीज और उसके परिजनों को इन सब सवालों से अब जूझना नहीं पड़ेगा. अलवर में ही इन सवालों का जवाब सेकंडो में मिल सकेगा.

डेंगू और अन्य बीमारियों में प्लेटलेट्स कम होने की परेशानी पर परिजनों को खासी परेशानी उठानी पड़ती है. कुछ मरीजों के तो परिजनों को मजबूरी में ब्लड ही बदलना पड़ता है. इन सब प्रक्रिया में लाखों रुपए खर्च होते हैं और खासी परेशानी उठानी पड़ती है. इस तरह की जांच की सुविधा दिल्ली और गुड़गांव सहित बड़े शहरों में मौजूद है.

बता दें कि अलवर के मरीजों को प्लेटलेटस संबंधित समस्या से अब तुरंत निजात मिल सकेगा. अलवर के क्योरवेल डायग्नोसिस सेंटर में राजस्थान की पहली हेमेटोलॉजी मशीन लगाई गई है. इस मशीन में सीबीसी की 37 तरह की जांचें हो सकती है. इस मशीन से आईपीएस और रेटिंक प्रोफाइल सहित कई अन्य जांच भी एक जांच के दौरान हो सकती हैं.

अलवर के एक अस्पताल में लगी हेमेटोलॉजी मशीन

अलवर के राजीव गांधी सामान्य अस्पताल और ईएसआईसी अस्पताल में आने वाले मरीजों को इन जांचों का फायदा निशुल्क और सस्ती दरों पर भी मिल सकेगा. क्योंकि क्योरवेल डायग्नोसिस सेंटर का ईएसआईसी और सरकार से अनुबंध है. जिसके तहत यहां आने वाले मरीजों को इन जांचों का फायदा मिलेगा. कंपनी के प्रतिनिधि नरेश रोहिल्ला ने बताया कि राजस्थान में यह पहली मशीन अलवर में लगी है. यह अपने आप की आधुनिक मशीन है जो एक जांच केवल 24 सेकंड में करती है. इस हिसाब से 1 घंटे में 200 मरीजों की जांच हो सकती है.

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इसके अलावा स्टेबल एचबीए1सी नाम की शुगर की जांच भी मरीजों की हो सकेगी. अभी तक अलवर में इस जांच की भी सुविधा नहीं थी. दरअसल इस जांच के माध्यम से मरीजों की 3 माह के दौरान शरीर में रहने वाली शुगर की मात्रा को चेक किया जाता है. विशेषज्ञ डॉ रणवीर सिंह ने बताया कि डायबिटीज मरीजों के लिए यह जांच काफी आवश्यक है. क्योंकि अस्पताल और लैब में आमतौर पर होने वाली जांच शरीर की जांच के दौरान डायबिटीज स्तर बताती है. लेकिन इस जांच के माध्यम से 3 माह के दौरान शरीर के अंदर डायबिटिक का सबसे उच्च और सबसे नीचे का स्तर पता चल सकेगा. ऐसे में डॉक्टर डायबिटिक मरीज को सही और बेहतर इलाज दे सकेंगे.

वहीं, सेंटर के निदेशक कुलदीप आर्य ने बताया ईएसआईसी के मरीजों को यह जांच कि सेवा निशुल्क रूप में मिलेगी. जबकि सामान्य अस्पताल के मरीजों को रियायती दरों में यह सुविधा मिल सकेगी. उन्होंने कहा कि राजस्थान में इन जांचों की अभी तक कोई सुविधा नहीं है.

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