अलवर.जिले के केंद्रीय कारागार से अलवर के सरकारी संस्थान और प्राइवेट संस्थानों को मास्क सप्लाई किए जा रहे हैं. मास्क की लगातार हो रही कमी को देखते हुए जेल प्रशासन की तरफ से मास्क बनाने का फैसला लिया गया था. जिसके बाद अब जेल में बंदी मास्क बना रहे हैं.
कोरोना वायरस के बढ़ते हुए प्रभाव के चलते बाजार में लगातार मास्क और सैनिटाइजर की खासी कमी महसूस की जा रही है. वहीं आए दिन मास्क और सैनिटाइजर की कालाबाजारी की सूचनाएं मिल रही है. ऐसे में लगातार कई सामाजिक संस्था के लोग आगे आकर मास्क बना रहे हैं. बाजार में होने वाली परेशानी को देखते हुए अलवर के केंद्रीय कारागार के बंदियों ने मास्क बनाना शुरू कर दिया है.
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जेल प्रशासन की तरफ से शुरुआत में जेल के स्टाफ और बंदियों के लिए मास्क बनवाए गए. उसके बाद होमगार्डों को मास्क सप्लाई किए गए. अब जेल प्रशासन को पुलिस विभाग, रेलवे, अन्य सरकारी विभागों के अलावा निजी संस्थाओं ने भी मास्क के ऑर्डर दिए हैं. बंदी जेल में 8 रुपए प्रति माह के हिसाब मास्क बना रहे हैं. अलवर केंद्रीय कारागार के अधीक्षक राजेंद्र सिंह ने बताया मास्क की हो रही कमी को देखते हुए बंदियों से मास्क बनवाए गए थे. इसके लिए कच्चा माल मुख्यालय से मिला था. अलवर कारागार में 3 लेयर का मास्क बनाया गया था. अलवर कारागार के अधीन आने वाले बहरोड़, किशनगढ़ बास सहित अन्य कारागार को भी मास्क उपलब्ध कराए गए.
उसके बाद अब पुलिस, रेलवे और कई निजी संस्थाओं ने हजारों मास्क बनाने के ऑर्डर दिए हैं. इसलिए लगातार केंद्रीय कारागार में बंदी मास्क बना रहे हैं. कारागार में बने हुए मास्क अन्य मास्क की तुलना में बेहतर है. वहीं मास्क की कीमत मुख्यालय से निर्धारित की गई है. उस निर्धारित कीमत पर मास्क उपलब्ध कराए जा रहे हैं.