अलवर. मौसम में बदलाव के साथ ही अलवर, भिवाड़ी, भरतपुर सहित राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के कारोबारी और व्यापारियों की परेशानी बढ़ जाती है. प्रदूषण फैलाने वाली सभी गतिविधियों पर रोक लग जाती है, लेकिन इस साल ऐसा नहीं होगा. केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने प्रदूषण की समस्या (pollution in alwar) से निपटने के लिए ग्रेडेड रेस्पांस एक्शन प्लान ग्रेप के नियम बड़ा बदलाव किया है. इस साल नए नियम लागू होंगे. इस बार स्मॉग होने पर एक साथ सभी गतिविधियों पर रोक नहीं लगेगी. ग्रेप को इस बार चार चरणों में बांटा गया है. प्रत्येक चरण के लिए अलग नियम बनाया गया है.
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में राजस्थान का अलवर, भरतपुर और भिवाड़ी क्षेत्र आता है. भिवाड़ी देश और दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर रह चुका है. मौसम में बदलाव के साथ ही एनसीआर क्षेत्र में स्मॉग बढ़ता है, जिसके चलते एक्यूआई (Air Quality Index) की मात्रा बढ़ जाती है. ऐसे में औद्योगिक इकाई, वाहन, बड़े भवनों का निर्माण कार्य, क्रेशर, बॉयलर, सड़कों की सफाई, ईंट भट्टे, खनन गतिविधि सहित प्रदूषण फैलाने वाली सभी तरह की गतिविधियों पर रोक लगा दी जाती है. ऐसे में हजारों लाखों लोग बेरोजगार हो जाते हैं क्योंकि काम धंधा कम हो जाता है. इसका सभी पर प्रभाव पड़ता है. लोगों को होने वाली परेशानियों को देखते हुए केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की तरफ से इस बार गाइडलाइन में बड़ा बदलाव किया गया है. अब एक साथ सभी गतिविधियों पर रोक नहीं लगेगी. इसके लिए चार चरण निर्धारित किए गए हैं. AQI के आधार पर सख्ती बढ़ाई जाएगी.
स्मॉग होने पर अब एक साथ नहीं बंद होंगी सभी गतिविधियां पढ़ें- Diwali 2022: ग्रीन पटाखों से अटा बाजार, प्रदूषण से दम नहीं घुटेगा...पर इनके दाम से निकलेगा 'दम'
प्रदूषण विभाग के अधिकारियों ने बताया कि वायु में जीरो से 200 एक्यूआई तक प्रथम चरण, 201 से 300 तक द्वितीय चरण, 301 से 400 तक तृतीय चरण और 400 से अधिक एक्यूआई होने पर चौथा चरण होगा. वायु में एक्यूआई का स्तर 200 से ऊपर जाने पर एनसीआर में ग्रेप के नियम लागू होंगे. एनसीआर में एक्यूआई का स्तर 200 से ज्यादा पहुंचने पर साफ सफाई की पालना नहीं करने वालों पर कार्रवाई करने का प्रावधान है.
प्रदूषण विभाग के अधिकारी मॉनिटरिंग व्यवस्था बढ़ाएंगे. औद्योगिक क्षेत्र का निरीक्षण होगा. वहीं सड़कों पर उड़ने वाली धूल को नियंत्रत करने के लिए मशीन से पानी का छिड़काव कराने, डस्ट स्वीपिंग मशीन और एंटी स्मॉग गन लगाने के प्रावधान हैं. एक्यूआई 300 से अधिक होने पर डीजल जनरेटर पर रोक रहेगी. सीएनजी, पीएनजी और एलपीजी जनरेटर के संचालन पर छूट रहेगी. साथ ही ऐसे जनरेटर जिनमें र्रिटोफिट इमर्शन कंट्रोल डिवाइस (आरईसीडी) और ड्यूल फ्यूल किट लगी है, उन्हें चलाने पर छूट रहेगी. सोसाइटी में लिफ्ट चलाने के लिए 24 घंटे में सिर्फ 2 घंटे डीजल जनरेटर चलाने की छूट होगी. अलवर एनसीआर में ज्यादातर औद्योगिक इकाइयों में डीजल जनरेटर लगे हैं. ग्रेप लागू होने के बाद कूड़ा जलाने पर पूरी तरीके से रोक रहेगी. निर्माण सामग्री को ढक कर रखना होगा.
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जबकि एक्यूआई 400 के ऊपर पहुंचने पर निर्माण और ध्वस्तीकरण का काम बंद कर दिया जाएगा. वहीं, होटल और ढाबों में तंदूर, लकड़ी व कोयले का उपयोग इंधन के रूप में करने पर पाबंदी होगी. एक्यूआई 460 से ज्यादा होने पर इमरजेंसी रहेगी. इसके बाद प्रदूषण फैलाने वाली सभी गतिविधियों पर पूरी तरह से पाबंदी रहेगी. एनसीआर में ग्रेप के नियम चरणबद्ध तरीके से लागू किए जाएंगे. हर चरण के लिए अलग नियम हैं. एनसीआर में अभी तक एक बार एक्यूआई 200 के पार गया है. अभी एक्यूआई का स्तर नियंत्रण में हैं.
- पराली के मैनेजमेंट के लिए PUSA की ओर से तैयार किया गया बायो डी कंपोजर का छिड़काव किया जाएगा.
- डस्ट पोलूशन रोकने के लिए 6 अक्टूबर से anti-dust अभियान चलाया जाएगा. 500 स्क्वायर मीटर से ज्यादा जो कंस्ट्रक्शन साइट हैं, उनके लिए अब कंपलसरी होगा कि सरकार के वेब पोर्टल पर रजिस्टर करें. इसके साथ ही डस्ट कंट्रोल की रियल टाइम मॉनिटरिंग होगी.
- 5000 स्क्वायर मीटर से ज्यादा के एरिया वाली कंस्ट्रक्शन साइट पर एंटी स्मोग गन लगाना अनिवार्य कर दिया गया है.
- खुले में कूड़ा जलाना प्रतिबंधित है और इसको रोकने के लिए टीमों का गठन किया गया है.
- पटाखों पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है. पटाखों के खरीदने उसके भंडारण बिक्री सब पर प्रतिबंध है. ऑनलाइन डिलीवरी भी मना है.