मुंडावर (अलवर). कोरोना में दिल को झकझोर देने वाली तस्वीरें, वीडियो सामने आ रहे हैं. अस्पतालों की हालात बेहद खराब है. बेड्स खाली नहीं होने से संक्रमितों को समय पर सही इलाज नहीं मिल पा रहा है और वो दम तोड़ रहे हैं. वहीं मौत के बाद संक्रमण के डर से शवों को हाथ लगाने से भी अस्पताल स्टाफ और लोग हाथ लगाने से कतरा रहे हैं. ऐसा ही मामला सामने आया अलवर के मुंडावर से. जहां एक कोरोना संदिग्ध की मौत के बाद संविदा पर लगे कर्मचारियों ने शव को हाथ लगाने से मना कर दिया और बाद में शव को किसी तरह से मोर्चरी में रखवाया तो उसे ले जाने के लिए एबुंलेंस के लिए परिजनों को गिड़गिड़ाना पड़ा और आखिर में टेंपों में शव को ले जाने पर मजबूर होना पड़ा.
अलवर में शव ले जाने के लिए नहीं मिली एंबुलेंस क्या है पूरा मामला
सीएचसी प्रभारी डॉ. रूपेश चौधरी ने बताया कि कोटकासिम ब्लॉक के गांव गुनसार निवासी श्यामलाल (55) को गुरुवार शाम को अलवर में ऑक्सीजन बेड खाली नहीं होने के चलेत मुंडावर सीएचसी में भर्ती किया गया था. मरीज की हालत काफी खराब थी. उसका ऑक्सीजन लेवल लगातार नीचे जा रहा था. डॉक्टर्स ने तमाम कोशिश की लेकिन शुक्रवार सुबह मरीज की मौत हो गई. मृतक की कोरोना रिपोर्ट नहीं आई है. मौत के बाद संविदा पर कार्यरत कर्मचारियों ने शव को हाथ लगाने से मना कर दिया.
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परिवारवालों के गिड़गिड़ाने पर सीएचसी के डॉ. रूपेश चौधरी और डॉ. सुरेंद्र यादव ने एएनएम मनीषा यादव के साथ मिलकर शव को पैक कर मोर्चरी में रख दिया. जिसके बाद परिजन शव को श्मशान ले जाने के लिए एंबुलेंस के लिए गिड़गिड़ाते रहे. उन्होंने एंबुलेंस 108, 104 को भी फोन किए, लेकिन सभी ने इनकार कर दिया. वहीं मौके पर खड़ी कोविड सैंपल ले जाने वाली एम्बुलेंस चालक से भी परिजनों ने शव ले जाने की अपील की लेकिन उसने भी साफ इंकार कर दिया. जिसके बाद सरपंच प्रत्याशी ने टेंपों का प्रबंध करवाया और शव को श्मशान घाट तक पहुंचाया.
अस्पताल में बदहाल व्यवस्थाएं देखने को मिली
अस्पताल में चिकित्सक, कार्मिकों की कमी सहित अन्य व्यवस्थाएं की भारी कमी देखने को मिली. अस्पताल में करीब एक घंटे तक शव पड़ा रहा लेकिन किसी ने हाथ नहीं लगाया. जिससे अन्य भर्ती मरीजों व उनके परिजनों में भय का माहौल बना हुआ था. वहीं कोविड डेडिकेटेड वार्ड में ड्यूटी कर रहे चिकित्सक सामान्य मरीजों को ओपीडी में देख रहा है. जो कि कोविड प्रोटोकॉल का उलंघन है. वहीं मेल, फीमेल वार्ड में अलग-अलग मेल व फीमेल कंपाउंडर की ड्यूटी होनी चाहिए, साथ ही वार्ड की साफ-सफाई भी बार-बार होनी चाहिए, जो कि कहीं दिखाई नहीं दी.
सीएचसी प्रभारी डॉ. रूपेश चौधरी का कहना है कि शव को हाथ लगाने से मना करने वाले कार्मिकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. इधर बीसीएमएचओ डॉ. प्रवीण धानिया का कहना है कि सीएचसी में कोविड डेडिकेटेड वार्ड की जिम्मेदारी सीएचसी प्रभारी की है, उन्हीं से बात करो. मैं कुछ भी नहीं बता पाऊंगा.