अलवर. लंबे समय से सरिस्का में पर्यटकों के लिए बेहतर सुविधाओं की मांग उठ रही थी. कहने सुनने का दौर लम्बा चला और अब उस पर विराम लग गया है. पीने के पानी से लेकर जन सुविधाओं की तमाम व्यवस्था दुरुस्त कर दी गई है. लगे हाथ जानवरों को भी करीब से निहारने का सुख सैलानियों को मिल रहा है. ये कोशिश मनुष्य और वन्य प्राणियों के बीच बढ़ती दूरियों को पाटने की गर्ज से की जा रही है.
कैसे होंगे Wild Life Friendly!-जानवरों से लोगों की दोस्ती बढ़ाने के लिए सरिस्का की दीवारों पर बाघ, चीता, बारहसिंघा सहित अन्य जंगली जानवरों की पेंटिंग उकेरी गई है. पर्यटक इसे पसंद भी कर रहे हैं. सेल्फी युग में सेल्फी भी ले रहे हैं. सरिस्का के अधिकारियों का कहना है कि कोशिशें और भी की जा रही हैं. तरीके ढूंढे जा रहे हैं जिससे दूरियां नजदीकियों में बदल जाएं.
दीवारों पर फुल स्केल पेंटिंग- सरिस्का बाघ अभयारण्य में टूरिस्ट विंडो और कार्यालय की दीवारों पर जंगल के माहौल जैसी फुल स्केल पेंटिंग बनाई जा रही हैं. दूर से देखने पर ये दीवारें जंगल के ही किसी हिस्से का एहसास कराती हैं. असर ये है कि वन्यजीव खुद को जंगल के भीतर मानते हुए करीब 50 मीटर लंबी दीवार के आसपास बैठे नजर आने लगे हैं. दीवार पर भालू का चित्र भी बनाया गया है. पहले यहां भालू भी खूब थे. टहला के समीप एक घाटी ही रीछों की वजह से रिछुंडा कहलाती थी. रजवाड़ों के दौर में खेल-तमाशे के लिए पकड़े जाने से ये प्राणी खत्म से हो गए. करीब एक दशक पहले एक भालू भटककर फिर सरिस्का पहुंचा.