अलवर. पंजाब और हरियाणा की मुर्गियां अलवर का बाजरा खा रही हैं. यहां का किसान वहां की मुर्गियों को बाजरा खिलाने में Interest भी दिखा रहे हैं (Millet Of Alwar). वजह है नुकसान के बावजूद बेहतर कमाई! असल में बारिश ज्यादा होने से फसल खराब हो गई थी. बाजरा काला पड़ गया. किसान को मौसम की ये मार परेशान करने लगी. नुकसान को नफे में बदलने की कोई जुगत नहीं भिड़ा पाया. इसी दौरान मुर्गियों ने इन्हें बचा लिया.
बाजरे की बम्पर पैदावार और कहानी में ट्विस्ट : अलवर में सरसों, बाजरे और गेहूं की बेहतर पैदावार होती है. किसानों ने इस बरस बाजरे पर दांव लगाया. 2 लाख 85 हजार हैक्टेयर में बाजरा की बुवाई की. मेहनत रंग लाई और बाजरे की बम्पर पैदावार हुई. सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था. अन्नदाता की उम्मीदें परवान चढ़ रही थीं. लेकिन फिर कहानी में एक ट्विस्ट आया. दशहरे के आसपास मूसलाधार बारिश हुई और बाजरे की फसल लगभग चौपट हो गई. बाजरा काला पड़ गया.
क्या करे क्या न का सवाल खड़ा हुआ: मौसम की मार से किसान परेशान हुआ क्योंकि ब्याज पर पैसे लेकर किसान फसल की बुवाई करता है. किसान बेहाल हो गया. उसे फसल की बुवाई का खर्चा न निकल पाने का डर सताने लगा. ऐसे संकट में ही उसे मुर्गियों ने उबार दिया. किसान ने राहत की सांस ली. पंजाब और हरियाणा के खरीदारों ने गहरी रुचि दिखाई. नतीजा ये हुआ कि कुछ दिनों पहले तक अलवर मंडी में प्रतिदिन 5000 कट्टे बाजरे के बिकने के लिए आ रहे थे उनमें अब बदलाव आ गया है. इस समय 2 से ढाई हजार कट्टे बाजरे की आवक हो रही है.