रामगढ़ (अलवर). जिले के रामगढ़ उपखण्ड में टिड्डी दलों का लगातार तीसरे दिन भी आतंक जारी रहा. शुक्रवार को 5 से 6 किलोमीटर लंबे टिड्डी दल ने रास्ते में आने वाली सभी फसलों को बर्बाद कर दिया. जिसके बाद किसानों ने खेतों से टिड्डियों को भगाने का प्रयास किया. लेकिन करोड़ों टिड्डियों के आगे किसानों बेबस नजर आए. अलवर टिड्डी दल के हमले की सूचना मिलते ही ग्रामीण अपने खेतों की तरफ दौड़े. किसानों ने धुआं, डीजे, पटाखों, बर्तन बजाकर बाइक का हॉर्न से टिड्डियों को भगाने का प्रयास किया.
टिड्डी दल कितना बड़ा था...
रामगढ़ में शुक्रवार को जिस टिड्डी दल ने हमला किया वह 5 से 6 किलोमीटर लंबा था. इस आकार के टिड्डी दल में अमुमन 3 से 4 करोड़ टिड्डी होती हैं. यह टिड्डी दल एक दिन में 35 हजार लोगों के खाने के बराबर फसल को नष्ट कर देता है. टिड्डी दल एक दिन में 100 से 150 किलोमीटर का सफर तय करता है.
5 से 6 किलोमीटर लंबा था टिड्डी दल पढ़ें:अलवर: बानसूर में टिड्डियों का हमला, किसानों ने थाली बजाकर किया भगाने का प्रयास
टिड्डी अटैक से कौन से गांव प्रभावित हुए
रामगढ़ उपखण्ड के गांव बख्तल की चौकी, बहाला, केशरोली,अग्यारा, बगड़ राजपूत, मीणापूरा, मुड़पुरी, बाम्बोली, नशोपुर, नगली मेघा, मुनपुर सहित दर्जनों गांवों में टिड्डियों के हमले के चलते भारी तबाही हुई है. किसानों की बाजरे, कपास और ज्वार की फसल को टिड्डियों ने पूरी तरह से नष्ट कर दिया. जिसके बाद टिड्डी दल भरतपुर जिले की तरफ चला गया.
इलाके के किसानों का कहना है कि कृषि विभाग अपनी तरफ से कीटनाशक का छिड़काव तो करता है लेकिन वो भी उतना प्रभावी नहीं है. कीटनाशक के छिड़काव से केवल 5 से 10 प्रतिशत ही टिड्डियां ही मर पाती हैं. किसानों ने सरकार से नुकसान का आंकलन कर मुआवजे की मांग की है. वहीं विपक्ष भी सरकार से टिड्डी हमलों से निपटने के लिए ठोस नीति बनाने की बात कर रहा है.