अलवर. अलवर के पानी में फ्लोराइड की मात्रा ज्यादा है. कई क्षेत्रों में फ्लोराइड की मात्रा तय मानक से कई गुना अधिक है. ज्यादा फ्लोराइड युक्त पानी पीने से हड्डियों, दातों और जोड़ों में दर्द संबंधित बीमारी होने लगती है. इन बीमारियों के परिणाम काफी घातक होते हैं. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग अब फ्लोराइड से होने वाली बीमारियों से ग्रस्त लोगों को चिन्हित करेगा. साथ ही उनको बेहतर इलाज भी उपलब्ध कराएगा. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने योजना भी तैयार की है और काम भी शुरू हो चुका है.
राजस्थान में जयपुर के बाद आबादी और जनसंख्या घनत्व के हिसाब से अलवर दूसरा सबसे बड़ा जिला है. अलवर जिले में 11 विधानसभा क्षेत्र हैं. सीमावर्ती जिला होने के कारण राजस्थान की अन्य जिलों की तुलना में अलवर विशेष स्थान रखता है. अलवर अरावली की गोद में बसा है और पथरीला क्षेत्र होने के कारण यहां पानी की खासी कमी रहती है. पूरा जिला डार्क जोन में आ चुका है.
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ऐसे में अलवर के 5 ब्लॉक क्षेत्र फ्लोराइड से ग्रसित हैं. अलवर के कठूमर, तिजारा, खेड़ली, रामगढ़, लक्ष्मणगढ़ क्षेत्र के पानी में फ्लोराइड की मात्रा अधिक है. इन क्षेत्रों के 139 गांव ज्यादा प्रभावित हैं. स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट पर नजर डालें तो अलवर में 10 हजार परिवार फ्लोराइड युक्त पानी पीने के लिए मजबूर हैं. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग की ओर से फ्लोराइड युक्त पानी पीने से होने वाली बीमारियों की रोकथाम और बचाव के लिए इन बीमारियों से बचाने के लिए एक ट्रेनिंग शुरू की है.
इसके तहत ब्लाक स्तरीय कर्मचारी व अधिकारियों को फ्लोराइड युक्त पानी पीने से होने वाली बीमारी की जानकारी दी जा रही है. साथ ही लोगों को जागरूक करने का काम भी स्वास्थ्य विभाग की तरफ से अब किया जाएगा.
139 गांवों का होगा सर्वे
स्वास्थ्य विभाग की तरफ से इस समस्या से प्रभावित 139 गांव का सर्वे कराया जाएगा. सभी क्षेत्रों में स्वास्थ्य विभाग के ब्लॉक स्तरीय कर्मचारी पानी का सैंपल लेंगे और उसकी जांच करेंगे. उसके बाद पानी से लोगों को होने वाली बीमारियों की भी पड़ताल करेंगे. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने कहा कि ऐसे लोगों को चिन्हित कर उनको अस्पताल लाया जाएगा ताकि उन्हें बेहतर इलाज मिल सके. स्वास्थ्य विभाग की तरफ से इस दिशा में काम शुरू कर दिया गया है. बड़ा जिल होने से इस पूरी प्रक्रिया में थोड़ा समय लग सकता है, लेकिन जल्द ही इसके लाभ लोगों को नजर आएंगे.